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Chanakya Niti : पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है इस काम को करने की उत्सुकता, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति

Chanakya Niti in hindi : अगर आपने कई बार देखा होगा कि बहुत से काम करने के लिए पुरुष पिछे हटते है और महिलाएं आगे बढ़ती है। लेकिन चाणक्य नीति में भी इसके बारे में लिखा गया है कि इन कामों को करने के लिए पुरुष पिछे रह जाते है और महिलाएं आगे रहती है। ऐसे में आइए नीचे आर्टिकल में जानते है इसके बारे में डिटेल से।

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Chanakya Niti : पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में होती है इस काम को करने की उत्सुकता, जानिए क्या कहती है चाणक्य नीति

HR NEWS HUB (ब्यूरो) : आपको बता दें कि आचार्य चाणक्य के सिद्धांतों(Principles of Acharya Chanakya) को पुरुष-स्त्री संबंधों के बारे में बेहतर तरीके से बताया गया है। चाणक्य के नीति शास्त्र(Chanakya Niti Shastra) में जीवनशैली जीने के ऐसे नीति ज्ञान हैं जिसके वृहद भंडार में गोता लगाकर इंसान बेहतरीन बन सकता है। जो हर उम्र के लोगों के लिए सीखने की चीज है।

ऐसे में चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांतों को अगर बचपन से ही कोई अपने जीवन में उतार ले तो वह पूरी जिंदगी बेहतर इंसान बनकर जी सकता है। ऐसे में चाणक्य की नीतियों को जीवन में जरूर अपनाना चाहिए। चाणक्य ने साफ और स्पष्ट तौर पर महिला पुरुष संबंधों के बारे में बताया है। इसके साथ ही चाणक्य ने ये भी बताया है कि महिलाओं में पुरुष के मुकाबले कौन सी इच्छा ज्यादा बलवती होती है। 
चाणक्य के बारे में जान लें कि उनके नीति शास्त्र से सिद्धांत सबसे ज्यादा प्रासंगिक हैं।

आचार्य चाणक्य के नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, समाज शास्त्र, कूटनीति या राजनीति शास्त्र के सिद्धांत हों इन पर चलकर ही कोई अपने आप को बेहतर बना सकता है, कोई समाज समृद्ध हो सकता है, किसी राष्ट्र का सही निर्माण हो सकता है या फिर दुनिया के अन्य देशों के साथ दूसरे देश के संबंध बेहतर हो सकते हैं। ऐसे में चाणक्य के नीति शास्त्र के सिद्धांतों पर चलकर लोग अपने जीवन को सफल और सुखद बना सकते हैं।  

ऐसे में आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी बातें बताई है जिसे कोई भी महिला किसी को नहीं बताना चाहती है। चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में बताया है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं कैसे ज्यादा भावनाओं के सागर में गोते लगाती हैं। चाणक्य ने स्त्रियों की भूख, लज्जा यानी शर्म, साहस और काम भावना के बारे में जिक्र किया है। 

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स्त्रीणां द्विगुण आहारो लज्जा चापि चतुर्गुणा ।
साहसं षड्गुणं चैव कामश्चाष्टगुणः स्मृतः ॥१७॥

स्त्री का आहार :

इस श्लोक का अर्थ है आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में स्त्रियों की ताकत के बारे में बताया है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि स्त्री का आहार यानी उनकी भूख पुरुषों से दुगनी होती हैं। वर्तमान में कई स्त्रियों के साथ ऐसा नहीं हैं इसकी वजह आज के समय का रहन-सहन और खान-पान का गड़बड़ होना है।

स्त्रियों में शर्म :

इसके अलावा चाणक्य कहते हैं कि स्त्रियों में शर्म यानी लज्जा पुरुषों से चार गुना ज्यादा होती है। महिलाओं में शर्म इतनी ज्यादा होती है कि वह किसी भी बात को कहने में कई बार सोचती हैं।

छ: गुना साहस :

वहीं स्त्रियों में पुरुष से छ: गुना साहस भी होता है। इसलिए ही स्त्रियों को शक्ति स्वरूप भी माना गया है। चाणक्य ने अपने श्लोक में ये भी लिखा है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा साहसी होती है, लेकिन आम लोग इसका बिल्कुल उल्टा सोचते हैं कि पुरुष महिलाओं के मुकाबले में ज्यादा साहसी होते हैं।

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कामेच्छा महिलाओं में पुरुषों से अधिक :

वहीं चाणक्य ने कहा है स्त्रियों में काम इच्छा भी पुरुषों से आठ गुना ज्यादा होती है, लेकिन उनमें लज्जा और सहनशक्ति भी बहुत होने से वो इसको उजागर नहीं होने देती और धर्म एवं संस्कार को ध्यान में रखते हुए परिवार को संभालती हैं।

Disclaimer : यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।एचआर न्यूज हब (ब्यूरो)इसकी पृष्टी नहीं करता है।