home page

Bank Loan : बैंक वाले करने जा रहे है आपकी प्रॉपर्टी निलामी, जानिए अपने ये अधिकार, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान

Bank Loan News : आप सभी को पता ही है कि महंगाई इतनी बढ़ चुकी है कि मिडिल क्लास वालों को कभी न कभी एक दिन तो लोन लेना ही पड़ता है। लोन लेने के लिए प्रॉपर्टी के कागजात या फिर संपत्ति को बैंक के पास गिरवी रखना पड़ता है। और फिर लोन नहीं भरने पर बैंक वाले उस संपत्ति की निलामी करते है। लेकिन क्या आप जानते है कि जब बैंक वाले निलामी करते है आपके क्या अधिकार होते है। ऐसे में आइए जानते है नीचे आर्टिकल में.

 | 
Bank Loan : बैंक वाले करने जा रहे है आपकी प्रॉपर्टी निलामी, जानिए अपने ये अधिकार, वरना हो जाएगा बड़ा नुकसान

HR NEWS HUB (ब्यूरो) : मकान, कार और तमाम अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अक्‍सर लोग लोन लेते हैं।(People take loans to meet their needs.) बैंक से लोन (Bank Loan) लेना तो आसान होता है, लेकिन इसे ब्‍याज समेत चुकाना मुश्किल लगता है। खासकर जब आपने होम लोन (Home Loan) लिया हो।

होम लोन सिक्‍योर्ड लोन होता है और लंबी अवधि के लिए लिया जाता है। प्राइवेट नौकरी(private job) वाले अक्‍सर ऐसे लोन को लेकर टेंशन में रहते हैं क्‍योंकि उनकी जॉब पर कभी भी खतरा आ सकता है और इन स्थितियों में लोन की ईएमआई (Loan EMI) चुकाना मुश्किल हो सकता है।

जब भी कोई व्‍यक्ति होम लोन(home loan news) लेता है तो बैंक उसके बदले मकान के कागजात या किसी अन्‍य संपत्ति को अपने पास गिरवी रख लेता है। अगर उधारकर्ता लोन नहीं चुका पाता है, तो बैंक उस प्रॉपर्टी को नीलाम (Collateral) करके कीमत वसूल सकता है। हालांकि नीलामी (Property Auction) की नौबत आने से पहले बैंक कर्ज(bank loan update) लेने वाले को कई मौके देता है।

इस बीच भी लोन लेने वाला बैंक का पैसा न लौटा पाए, तो बैंक के पास प्रॉपर्टी (Bank Collateral) को नीलाम करने का अधिकार होता है। हालांकि नीलमी की स्थिति में भी लोन लेने वाले के पास कुछ अधिकार होते हैं। अगर आपने भी बैंक से होम लोन(home loan from bank) लिया है, तो आपको इसके बारे में जरूर पता होना चाहिए।

जानिए Delhi और New Delhi में क्या अंतर है, बहुत ही कम लोगों को है जानकारी

नीलामी की स्थिति में होते हैं ये दो अधिकार :


 
बैंक ऐसे ही बॉरोअर (Loan Borrower) की प्रॉपर्टी को नीलाम नहीं कर सकते। बैंक को उस प्रॉपर्टी की बिक्री से पहले असेट का उचित मूल्य बताते हुए नोटिस (Auction Notice) जारी करना पड़ता है। इसमें रिजर्व प्राइस, तारीख और नीलामी के समय का भी जिक्र करने की जरूरत होती है। ऐसे में अगर बॉरोअर को लगता है कि असेट का दाम बैंक की ओर से कम रखा गया है तो उसके पास नीलामी को चुनौती देने का पूरा अधिकार होता है।

अगर असेट को की नीलामी की नौबत को बॉरोअर (Property Asset) नहीं रोक पाया है तो उसे नीलामी की प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए क्‍योंकि लोन की वसूली के बाद जो अतिरिक्त रकम बचती है, उसे पाने का अधिकार बॉरोअर का होता है। बैंक को वो बची हुई रकम लेनदार को लौटानी ही होती है। इस बात का अच्‍छे से समझ लें। जैसे मान लीजिए कि बैंक को आपसे 20 लाख वसूलने है। लेकिन नीलामी (Auction) के समय प्रॉपर्टी की बिक्री 25 लाख रुपए में हुई, तो बैंक को 5 लाख रुपए बॉरोअर को लौटाने होंगे।  

इतनी जल्‍दी नहीं आती नीलामी की नौबत :


ये भी बात आपको समझ लेनी चाहिए कि नीलामी की नौबत इतनी जल्‍दी नहीं आती। अगर कोई व्‍यक्ति लगातार दो महीने तक लोन की ईएमआई नहीं देता तो बैंक उसे रिमाइंडर (Loan EMI Reminder) भेजता है। रिमाइंडर भेजने के बाद भी जब तीसरी किस्‍त जमा नहीं की जाती है तो लोन लेने वाले को कानूनी नोटिस भेजा जाता है। कानूनी नोटिस मिलने के बाद भी जब ईएमआई का भुगतान नहीं किया जाता है तो बैंक संपत्ति को एनपीए घोषित कर देता है और लोन लेने वाले व्‍यक्ति को डिफॉल्‍टर घोषित कर दिया जाता है |

Zero Balance Account : ये बैंक दे रहा है खास सुविधा, जीरो बैलेंस होने पर निकाल सकते है 10 हजार रुपए

लेकिन एनपीए घोषित (NPA) होने के बाद भी प्रॉपर्टी को तुरंत नीलाम नहीं किया जाता है। एनपीए की भी तीन कैटेगरी होती है- सबस्टैंडर्ड असेट्स (Substandard Asset), डाउटफुल असेट्स (Doubtful Asset) और लॉस असेट्स। कोई लोन खाता एक साल तक सबस्टैंडर्ड असेट्स खाते की श्रेणी में रहता है, इसके बाद डाउटफुल असेट्स बनता है और जब लोन वसूली की उम्मीद नहीं रहती तब उसे ‘लॉस असेट्स’ मान लिया जाता है। लॉस असेट बनने के बाद प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाता है |