जल्दी शादी करने के लिए प्रेमी जोड़े ने कर दी ये गलती, High Court ने कहा दोनो पर होगा कार्रवाई
High Court Decision : आप सभी को पता ही होगा कि शादी करने के लिए बहुत ज्यादा खर्चा आता है। इसी को देखते हुए कुछ लोग कोर्ट में जाकर शादी कर लेते है। जिसे कोर्ट मैरिज के नाम से जाना जाता है। लेकिन यहां पर एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कहा गया है कि प्रेमी जोड़ो ने जल्दी शादी के लिए ये गलती कर दी है। ऐसे में हाई कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया है आइए जानते है नीचे आर्टिकल में.
HR NEWS HUB (ब्यूरो) : शादी के लिए उतावला एक प्रेमी जोड़ा कोर्ट मैरिज करने पहुंचा लेकिन दोनों के झूठ को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab-Haryana High Court) ने पकड़ लिया और दोनों को गलत जानकारी देना उस वक्त भारी पड़ गया जब अदालत ने कहा-क्यों न दोनों पर अवमानना (Contempt of Court) के तहत कार्रवाई की जाए। दोनों को शादी के लिए अब इंतजार करना होगा।
तहकीकात में सामने आई सच्चाई :
दरअसल, प्रेमी जोड़े ने शादी के लायक उम्र नहीं होने के बावजूद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर खुद को शादी के योग्य बताया था। उन्होंने याचिका में अपनी उम्र ज्यादा दिखाई थी। जब मामले की तहकीकात हुई तो पता चला की लड़का व लड़की दोनों हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह योग्य उम्र नहीं रखते। झूठ का पता चलने पर जज साहब ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए लड़के व लड़की दोनों के खिलाफ हाई कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू कर दी।
जानकारी के मुताबिक फतेहाबाद जिले के गांव जाखल निवासी एक लड़के और लड़की ने हाई कोर्ट में अपने घरवालों से जान का खतरा बताकर सुरक्षा की मांग की थी और दोनों ने हाई कोर्ट को बताया था कि लड़के की उम्र 21 साल व लड़की की उम्र 20 साल है। जब हाई कोर्ट ने लड़की के परिजनों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया तो उन्होंने कोर्ट को बताया कि लड़की की उम्र केवल 17 साल है। जो कि नाबालिग है।
इसकी जानकारी मिलने के बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि दोनों का विवाह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मान्य नहीं है। हाई कोर्ट ने दोनों की सुरक्षा देने का आदेश देते हुए एसपी फतेहाबाद को लड़का व लड़की की उम्र की जांच के आदेश दिए।
इस पर सरकार की तरफ से रजिस्ट्रार जन्म व मृत्यु तथा स्कूल प्रमाण पत्र पेश कर कोर्ट को बताया गया कि लड़का 21 साल का है, जबकि लड़की की उम्र 18 साल से कम है। इस जवाब पर लड़का व लड़की की तरफ से हाई कोर्ट से याचिका वापस लेने का आग्रह किया गया। कोर्ट ने याचिका वापस लेने की छूट देते हुए दोनों को बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत विवाह न करने व हाई कोर्ट में गलत जानकारी देने पर संज्ञान लेकर उनसे पूछा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना के तहत कार्रवाई की जाए।