Supreme Court : सुप्रीमकोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग से कहा, चुनावी प्रिक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए
Supreme Court : बता दें कि सुप्रीमकोर्ट ने वीरवार को विविपैट से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को चुनावी प्रिक्रिया में पवित्रता होनी चाहिए| बता दें की पिछली सुनवाई में पीठ ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह से कहा था कि वह कोर्ट को ईवीएम से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए| पूरी जानकारी जाने निचे खबर में विस्तार से...
HARYANA NEWS HUB, (ब्यूरो) : सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को वीवीपैट (VVPAT on Thursday) से जुड़े मामले में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि चुनावी प्रक्रिया में शुचिता होनी चाहिए। कोर्ट ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित (ensure free and fair elections) करने के लिए अपनाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताने को कहा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह एक चुनावी प्रक्रिया है। इसमें पवित्रता होनी चाहिए। किसी को भी यह आशंका नहीं होनी चाहिए कि जो कुछ संभावनाएं बनती हैं, वह नहीं किया जा रहा है।
वीवीपैट के साथ डाले गए वोटों के सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने मौजूद ईसीआई अधिकारी ने ईवीएम और वीवीपैट (EVM and VVPAT) की कार्यप्रणाली के बारे में बताया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की आलोचना करने वालों की निंदा की थी। कोर्ट ने कहा था कि देश में चुनाव कराना एक बड़ी चुनौती है, ऐसे में हमें सिस्टम को पीछे की तरफ नहीं ले जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में उस समय का भी जिक्र किया, जब बैलेट पेपर (ballot paper) से चुनाव होते थे और मतपेटियां लूट ली जातीं थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कही थी ये बात-
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ एडीआर (NGO ADR) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की थी। दरअसल, याचिका में मांग की गई थी कि ईवीएम में डाले जाने वाले वोट का सौ फीसदी वीवीपैट मशीन (vvpat machine) के साथ क्रॉस वेरिफिकेशन कराया जाए, ताकि मतदाता को पता चल सके कि उसने सही वोट दिया है।
याचिका में कहा गया कि कई यूरोपीय देश भी ईवीएम (Many European countries also use EVM) का इस्तेमाल कर फिर से बैलेट पेपर से मतदान पर लौट चुके हैं। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि देश में चुनाव कराना बड़ी चुनौती है और कोई भी यूरोपीय देश ऐसा नहीं कर सकता।
पीठ ने क्या-क्या कहा था?
पीठ ने कहा कि आप जर्मनी की बात कर रहे हैं, लेकिन वहां की जनसंख्या क्या है। मेरे गृहराज्य बंगाल में भी जर्मनी (Germany also in home state Bengal) से ज्यादा जनसंख्या है। हमें चुनावी प्रक्रिया में विश्वास रखना चाहिए और इसे पीछे की तरफ से नहीं खींचना चाहिए।
पीठ ने कहा कि भारत में करीब 98 फीसदी पंजीकृत मतदाता हैं। वोटों की गिनती में कुछ गड़बड़ी हो सकती है, जिसे दूर किया जा सकता है।
जस्टिस खन्ना (Justice Khanna) ने कहा कि हमने वो वक्त भी देखा है, जब ईवीएम (EVM) नहीं थी। हमें ये बताने की जरूरत नहीं है कि उस समय क्या होता था।' उन्होंने कहा कि किसी प्रक्रिया में इंसानों के दखल से समस्या होती है और पक्षपात होने की आशंका होती है, लेकिन मशीनें बिना किसी इंसानी दखल के सही तरीके से काम करती हैं।
चुनाव आयोग से पूछा था सवाल-
पीठ ने चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुए वकील मनिंदर सिंह (Advocate Maninder Singh) से कहा कि वह कोर्ट को ईवीएम से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध कराए, जिसमें ईवीएम के काम करने, उसे स्टोर करने संबंधी सारी जानकारी दें। कोर्ट ने चुनाव आयोग के वकील से ये भी पूछा कि ईवीएम से छेड़छाड़ के दोषी को सजा का क्या प्रावधान है?
याचिकाओं में क्या दावा?
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि दो सरकारी कंपनियों भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड (Bharat Electronic Limited) और इलेक्ट्रोनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (Electronics Corporation of India) के निदेशक भाजपा से जुड़े हुए हैं। एक अन्य याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि 2019 के आम चुनाव के बाद एक संसदीय समिति ने ईवीएम में गड़बड़ी पाई थी, लेकिन चुनाव आयोग ने अभी तक उसे लेकर कोई जवाब नहीं दिया है। दो घंटे तक चली सुनवाई के दौरान कई याचिकाकर्ताओं ने अपने विचार अदालत के सामने रखे थे।