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Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए कितने साल बाद किराएदार का हो जाएगा मकान?

Supreme Court Decision : दोस्तों बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा निर्णय लेते हुए कहा है कि मकान मालिक के घर या फ़्लैट में रह रहे किराएदार इतने साल बाद मकान मालिक की जगह पर किरायेदार का हक़ होगा अगर आप भी किराए के मकान में रह रहे है तो ये खबर आपके लिए बेहद ही ख़ास है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया हैं जिसके तहत इतने साल बाद मकान किराएदार का हो जाएगा आइए जानते है पूरी जानकारी न्यूज़ में....
 
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 Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जानिए कितने साल बाद किराएदार का हो जाएगा मकान?

HR NEWS HUB (ब्यूरो) : किराए पर घर दे रहे मकान मालिको को सुप्रीम कोर्ट ने झटका देते हुए बड़ा फैसला लिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के अनुसार अगर आपकी वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा आइए जानते है पूरी जानकारी नीचे दिए गए आर्टिकल में....

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के मुताबिक अगर वास्तविक या वैध मालिक अपनी अचल संपत्ति को दूसरे के कब्जे से वापस पाने के लिए समयसीमा के अंदर कदम नहीं उठा पाएंगे तो उनका मालिकाना हक समाप्त हो जाएगा और उस अचल संपत्ति पर जिसने कब्जा कर रखा है, उसी को कानूनी तौर पर मालिकाना हक दे दिया जाएगा। 

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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले के बाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) के लोगों में संशय की स्थिति बढ़ गयी है। ऐसे मकान मालिक जिन्होंने अपनी कोई संपति किराये पर दे रखी है, वह अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं।

उनका कहना है कि यह फैसला (Supreme Court Judgement) तो मकान मालिकों के लिये बड़ा झटका है। इस फेसले से उन्हें दुख पहुंचा है। वहीं दूसरी तरफ कुछ किरायेदारों ने अपनी प्रतिक्रिया में खुशी जाहिर की है

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर लखनऊ (Lucknow) के हुसैनगंज (Hussainganj) निवासी अरुणेश का कहना है कि अब मकान मालिकों को काफी सतर्क रहना पड़ेगा। इस फैसले के बाद अपना मकान किराए पर देने से पहले मकान मालिकों को सारी फार्मेलिटि पूरी करनी होंगी।

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मकान किराये पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट, हाउड रेंट बिल, रेंट, बिजली का बिल, पानी का बिल (Rent Agreement, Howd Rent Bill, Rent, Electricity Bill, Water Bill) जैसी कानूनी कार्रवाई करनी पड़ेगी। जिससे उनके मकान में रहने वाला किरायेदार मकान पर कब्जे को लेकर कोई दावा न न ठोक सके।


वहीं आलमबाग के सर्वेश के मुताबिक उन्होंने अपनी दुकान काफी समय से किराये पर दे रखी है। अब वह तुरंत सारी कानूनी कार्रवाई दोबारा चेक करवाएंगे। उन्होंने कहा कि दूसरे लोग इस फैसले से सीख लें और अगर अचल संपत्ति पर किसी ने कब्जा जमा लिया है तो उसे वहां से हटाने में लेट लतीफी न करें।

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सरकारी संपति पर नहीं लागू होगा फैसला :

हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme COurt) ने अपने फैसले में यह भी साफ किया है कि सरकारी जमीन (Government Land) पर अतिक्रमण को इस दायरे में नहीं रखा जाएगा। यानी, सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को कभी भी कानूनी मान्यता नहीं मिल सकती है। वहा पर किसी के द्वारा चाहे जितना पुराना कब्जा हो, वह हमेशा अवैध ही रहेगा। इसलिये सरकार संपति के मामलों को इस फैसले से जोड़क न देखा जाये।

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सुप्रीम कोर्ट का ये है फैसला :

सुप्रीम कोर्ट के जजों जस्टिस अरुण मिश्रा (Justice Arun Mishra), जस्टिस एस अब्दुल नजीर (Justice Abdul Nazeer) और जस्टिस एमआर शाह (Justice MR Shah) की बेंच ने कहा कि संपत्ति पर जिसका कब्जा है, उसे कोई दूसरा व्यक्ति बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के वहां से हटा नहीं सकता।

अगर किसी ने 12 साल से किसी ने अवैध कब्जा कर रखा है तो कानूनी मालिक के पास भी उसे हटाने का अधिकार भी नहीं रह जाएगा। ऐसी स्थिति में अवैध कब्जे वाले को ही कानूनी अधिकार, मालिकाना हक मिल जाएगा।

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हमारे विचार से इसका परिणाम यह होगा कि एक बार अधिकार (राइट), मालिकाना हक (टाइटल) या हिस्सा (इंट्रेस्ट) मिल जाने पर उसे वादी कानून के अनुच्छेद 65 के दायरे में तलवार की तरह इस्तेमाल कर सकता है। वहीं प्रतिवादी के लिए यह एक सुरक्षा कवच होगा। 

अगर किसी व्यक्ति ने कानून के तहत अवैध कब्जे को भी कानूनी कब्जे में तब्दील कर लिया तो जबर्दस्ती हटाए जाने पर वह कानून की मदद ले सकता है।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में एकदम साफ किया है कि अगर किसी ने 12 वर्ष तक अवैध कब्जा जारी रखा और उसके बाद उसने कानून के तहत मालिकाना हक प्राप्त कर लिया तो उसे असली मालिक भी नहीं हटा सकता है।

अगर उससे जबर्दस्ती कब्जा हटवाया गया तो वह असली मालिक के खिलाफ भी केस कर सकता है और उसे वापस पाने का दावा कर सकता है क्योंकि असली मालिक 12 वर्ष के बाद अपना मालिकाना हक खो चुका होता है।

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