Rajasthan News : राजस्थान के कोटा में गाइडलाइन का उलंघन करने वाले हॉस्टल के खिलाफ एक्शन, हो सकता है सील
HARYANA NEWS HUB (ब्यूरो) : कोचिंग सिटी के रूप में पूरे देश में मशहूर कोटा छात्रों के सुसाइड के कारण फिर से सुर्खियों में हैं. यहां बीते 3 दिनों में दो छात्रों ने सुसाइड कर लिया है. बात इस साल की करें तो अभी तक साल 2024 में कोटा में 9 कोचिंग छात्रों ने सुसाइड किया है.
बीते 48 घंटों में दो छात्रों के सुसाइड के बाद कोटा प्रशासन अब बड़ा एक्शन लेने जा रही है. कोटा एसपी अमृता दुहन की रिपोर्ट पर जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने उन हॉस्टल और पीजी को सीज करने का आदेश दिया है,
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जहां रह रहे दो छात्रों ने बीते तीन दिनों में सुसाइड किया था. कोटा डीएम के इस फैसले से कोचिंग और पीजी संचालकों में हड़कंप मचा है आइए जानते है खबर में अधिक जानकारी विस्तार से...
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बीते साल कितने छात्रों ने की खुदकुशी?
पिछले साल 29 छात्र-छात्राओं ने मौत को गले लगा लिया था। जांच में सामने आया कि अधिकांश मामलों में पढ़ाई के दबाव, प्रतिस्पर्धा और अभिभावकों की उम्मीदों के बीच फंसे छात्र-छात्राओं ने आत्महत्या की है।
साथ ही कोचिंग संस्थानों में पैसा कमाने की लालसा और आपसी प्रतिस्पर्धा में छात्र-छात्राओं को मशीन की तरह 10-12 घंटे तक पढ़ाने को सरकार की जांच कमेटी ने गलत माना है। चार महीने में नौ छात्र-छात्राओं की आत्महत्या से हरकत में प्रशासन हरकत में आया है।
गाइडलाइन का पालन नहीं करने पर क्या होगी कार्रवाई?
गाइडलाइन की पालन नहीं करने वाले कोचिंग संस्थानों और हॉस्टल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई का फैसला लिया गया है। हाल ही में जिन हॉस्टल में छात्रों ने खुदकुशी की, उन हॉस्टल को सील कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इनमें एंटी हैंगिंग डिवाइस (anti hanging device) नहीं लगा हुआ था।
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प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कहा, 'हम बच्चों से उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा कर रहे हैं। इससे बच्चे मानसिक अवसाद के शिकार हो जाते हैं। वहीं, जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने छात्र-छात्राओं एवं अभिभावकों को खुला पत्र लिखा है।
कलेक्टर ने पेश किया उदाहरण :
कलेक्टर ने लिखा कि मैं खुद इसका उदाहरण हूं। मैं भी पीएमटी में फेल हो चुका हूं। क्योंकि हम केवल मेहनत कर सकते हैं। फल देना ईश्वर का काम है। ईश्वर कभी अपने कर्तव्य से कभी चूक नहीं कर सकता, इसलिए वो हमें सफल बना रहा है तो वो ठीक है। अगर असफल कर रहा है तो शायद वो हमारे लिए दूसरा रास्ता चुन रहा है।
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उन्होंने कहा कि अभिभावक भी बच्चों को हर स्थिति में सपोर्ट करें। नंबरों को उनकी योग्यता से न जोड़ें। बच्चा किसी दूसरे विषय में या दूसरे क्षेत्र में बेहतर कर सकता है। उसे विश्वास दिलाए कि आप उसके साथ हैं। कलेक्टर ने सप्ताह में एक दिन छात्र-छात्राओं के साथ संवाद करने के लिए कॉफी विद कलेक्टर कार्यक्रम संचालित किया है।