अब पत्नी बेच सकती है पति की संपत्ति, High Court ने दिया अधिकार
High Court Decision : हाल ही में एक अपडेट के जरिए पता चला है कि अब पत्ति अपने पति की प्रॉपर्टी को बेच सकती है। इस मामले को लेकर हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है और पत्नि को ये अधिकार दे दिया है। आइए नीचे आर्टिकल में इस मामले के बारे में डिटेल से.
HARYANA NEWS HUB : दिल्ली के एक अदालत( Delhi court ) ने नाबालिग बच्चे की परवरिश( raising a minor child ) के लिए मां को पति की पैतृक संपति बेचने की अनुमति दी है। हालांकि अदालत ने प्राप्त रकम की पाई-पाई का हिसाब अदालत के समक्ष पेश करने को जरूरी बताया।
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द्वारका स्थित अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सचिन जैन की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि बच्चे की पैतृक संपति( ancestral property ) को बेचने से मिले रकम को मां को राष्ट्रीकृत बैंक में फिक्स्ड डिपोजिट( Fixed Deposit in Nationalized Bank )( FD ) करना होगा।
साथ ही यह भी देखना होगा कि किस बैंक से इस रकम पर ज्यादा ब्याज मिल रहा है। अदालत( court News ) ने यह भी कहा कि इस राशि से अगर वैकल्पिक रिहायशी या व्यावसायिक जगह खरीदी जाती है तो इसकी जानकारी मां को अदालत को देनी होगी। जब तक बच्चा बालिग नहीं हो जाता, बेची गई पैतृक संपति से प्राप्त राशि खर्च का हिसाब देना होगा।
एफडी के अपने आप नवीनीकरण की हो व्यवस्था :
अदालत ने कहा कि बच्चे की संपति से प्राप्त रकम को फिक्सड डिपोजिट(एफडी) कराते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे के बालिग होने तक इस एफडी का अपने आप नवीनीकरण होता रहे। साथ ही बच्चे की मां को छह महीने में बच्चे पर खर्च होने वाली रकम का ब्यौरा भी देने को कहा गया है। अदालत का कहना है कि नाबालिग बच्चों के मामले में फैसला देते समय उनके अधिकारों की रक्षा करना न्यायिक अधिकारी का काम होता है।
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बच्चे की मां ने आर्थिक तंगी का हवाला दे अधिकार मांगा :
महिला ने कोर्ट को बताया कि उसका बच्चा 12 साल का है। उसके पिता की मौत 2013 में उस वक्त हो गई थी, जब बच्चा चार साल का था। महिला का कहना था कि वह घरेलू महिला है और बच्चे को अच्छी परवरिश देना चाहती है। लेकिन पैतृक संपति के अलावा कमाई का कोई और संसाधन नहीं है। पैतृक संपति करीब एक करोड़ रुपये की है। वहीं एसडीएम ने अपनी रिपोर्ट में उक्त संपति की कीमत 80 लाख रुपये बताई थी। अदालत ने संपत्ति बेचने की अनुमति दी।