Lok Sabha Election 2024 News : 99 प्रतिशत लोगों को नही है मालूम, कि भारत में हर चुनाव पर कितना होता है खर्चा, आप भी देख रह जाएँगे हैरान
HARYANA NEWS HUB (ब्यूरो) : दोस्तों बता दें कि लोकसभा चुनाव में होने वाला खर्च पहले के आकड़ें से अब 5 साल में दोगुना हो चूका है 2014 में 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है मगर पांच साल बाद 2019 में यह आंकड़ा 60 हजार करोड़ तक पहुंच गया। इस बार यह आंकड़ा 1.20 लाख करोड़ पहुंचने का अनुमान है भारत में चुनावों में पैसे और धन बल की भूमिका कितनी बढ़ गई है, इसका अंदाजा एक अध्ययन से लगाया जा सकता है।
गैर लाभकारी संगठन सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (सीएमएस) के अध्ययन के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में 55,000-60,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे सीएमएस ने 2014 के आम चुनाव में 30,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान पेश किया था। इस लिहाज से देखें तो पांच वर्ष की अवधि में आम चुनाव पर होने वाला खर्च दोगुना हो गया आइए जानते है पूरी जानकारी खबर में...
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प्रति उम्मीदवार खर्च किए 100 करोड़ रुपये :
सीएमएस ने 2019 के आम चुनाव को दुनिया में कहीं भी हुआ सबसे महंगा चुनाव बताया था। सीएमएस का आकलन था कि चुनाव में हर लोकसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपये खर्च हुए। एक तरह से देखें तो 700 रुपये प्रति वोट खर्च किए गए गए।
ज्यादा हो सकता था चुनाव पर खर्च :
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खर्च चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के बाद का है। इससे पहले के हुए खर्च को अंतिम आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। अगर चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने से पहले होने वाले खर्च को शामिल किया जाता तो चुनाव पर खर्च की गई राशि इससे कहीं अधिक होती। आम तौर पर संभावित प्रत्याशी पहले से क्षेत्र में सक्रिय हो जाते हैं और इस पर भी पैसा खर्च होता है।
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55,000 करोड़ हो गया छह गुना बढ़ कर 2019 में चुनाव का खर्च पिछले छह लोकसभा चुनावों के दौरान
20,000 करोड़ बढ़ कर हो गया था 2009 में आम चुनाव का खर्च
10,000 करोड़ रहा था 1999 आम चुनाव का खर्च
9,000 करोड़ खर्च किए गए थे 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान
लेाकसभा क्षेत्र में प्रत्याशियों ने खर्च किए 40 करोड़ से अधिक :
लोकसभा क्षेत्र की बात करें तो कम से कम 75 से 85 सीटें ऐसीं थीं, जहां प्रत्याशी विशेष ने 40 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। यह चुनाव आयोग द्वारा प्रत्याशी के लिए तय की गई खर्च की अधिकतम सीमा से 50 गुना से भी अधिक है। 2019 में उम्मीदवारों के लिए खर्च की अधिकतम सीमा 70 लाख रुपये थी।
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कैसे किया है खर्च का आकलन :
सीएमएस का कहना है कि चुनाव आयोग की अधिसूचना जारी होने के बाद चुनाव पर हुए खर्च, लोगों की धारणा, अनुभव और अनुमान के आधार पर यह चुनाव में खर्च की गई कुल राशि का आकलन किया है।
2024 में 1.20 लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान :
एक अध्ययन के अनुसार आगामी लोकसभा चुनाव में कुल खर्च बढ़ कर 1.20 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकता है। अगर सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव में साथ कराए जाएं तो कुल खर्च 3 लाख करोड़ होने का अनुमान है। देश में करीब 4,500 विधानसभा सीटें हैं।
क्या होती है खर्च की सीमा :
चुनाव में खर्च की सीमा उस राशि को कहते हैं, जो उम्मीदवार चुनाव अभियान में वैध रूप से खर्च कर सकता है। इसमें पब्लिक मीटिंग, रैली, विज्ञापन, पोस्टर- बैनर और वाहन पर होने वाला खर्च शामिल है। चुनाव खत्म होने के 30 दिन के अंदर सभी उम्मीदवारों को खर्च का विवरण चुनाव आयोग को देना होता है। ऐसा करना जरूरी है।
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राजनीतिक दलों के लिए नहीं है खर्च की सीमा :
चुनाव में कोई राजनीतिक दल कितना खर्च कर सकता है, इसकी तो कोई सीमा नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों के लिए यह राशि 95 लाख रुपये तय की गई है। इसी तरह विधानसभा चुनाव में एक प्रत्याशी 40 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है। कुछ छोटे राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों में लोकसभा प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा 75 लाख रुपये और विधानसभा प्रत्याशी के लिए खर्च की सीमा 28 लाख रुपये है।
चुनाव का बढ़ता खर्च और मतदाताओं की संख्या :
चुनावी साल चुनाव पर खर्च, सरकार का (करोड़ रुपये में)
मतदाताओं की संख्या (करोड़)
1952 10.5 17.32
1957 5.9 19.37
1962 7.3 21.64
1967 10.8 25.02
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1971 11.6 27.42
1977 23 32.12
1980 54.8 35.62
1984 81.5 40.03
1989 154.2 49.89
1991 359.1 51.15
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1996 597.3 59.26
1998 666.2 60.59
1999 947.7 61.95
2004 1016.1 67.15
2009 1,114.4 71.7
2014 3,870.3 83.4