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Yearly Weather Forecast : इस साल गर्मी का रहेगा प्रकोप, आसमान से बरसेगें अंगारे, मौसम विभाग ने जारी किया अपडेट

Year 2024 Weather Forecast :आज हम आपके लिए ऐसी खबर लेकर आए है जिसमें की आपकी जानकारी के लिए पूरे साल के मौसम का हाल बताया है। बता दें कि मौसम विभाग के अनुसार इस साल गर्मी का रहेगा प्रकोप, आसमान से बरसेगें अंगारे, आइए जानते है खबर में पूरे साल के मौसम हाल-

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Yearly Weather Forecast : इस साल गर्मी का रहेगा प्रकोप, आसमान से बरसेगें अंगारे, मौसम विभाग ने जारी किया अपडेट

HARYANA NEWS HUB : Weather In 2024 : दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन (Climate change) के साथ मौसम में भी बड़े बदलाव आ रहे हैं।  अभी हाल ही में मौसम विभाग ने बताया था कि 123 सालों में पहली बार जनवरी में सबसे कम बारिश दर्ज की गई।  2024 में 91 फीसदी कम बारिश हुई थी।  अब मौसम वैज्ञानिकों ने अनुमान (Meteorologists estimated) लगाया है कि इस बार "अल नीनो" और "ला नीना" (El Nino" and "La Nina) के प्रभाव से गर्मी और बारिश दोनों अधिक होगी। 

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अल नीनो का प्रभाव गर्मी को बढ़ता है जबकि ला नीना मानसून के प्रभाव को बढ़ाता है। यानी बारिश अधिक होती है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक जून के दौरान ला नीना का प्रभाव सबसे अधिक होगा, यानी उसके बाद अधिक गर्मी पड़ेगी।  और ला नीनो का प्रभाव सितंबर के आस पास शुरू होगा, यानी उसके बाद भी बारिश जारी रहेगी। 

क्या कहना है मौसम वैज्ञानिकों का?


स्काईमेट वेदर के जलवायु और मौसम विज्ञान विभाग के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा है, इस बार बसंत ॠतु बहुत कम समय के लिए रहेगा। गर्मी अधिक पड़ेगी और सितंबर के आसपास ला‌ नीना के विकसित होने की उम्मीद है। इससे मानसून का एक्सटेंशन होगा और बारिश भी अधिक होगी। अमेरिका के राष्ट्रीय समुद्री और वायुमंडलीय प्रशासन (NOA) ने भी इसी तरह का पूर्वानुमान जारी किया है और अगस्त से सितंबर अक्टूबर के दौरान ला नीना विकसित होने की संभावना व्यक्त की है। 

इसके अलावा उन्होंने जून महीने के करीब ला नीनो की स्थिति बनने की संभावना व्यक्त की है।  यानी उस समय अधिक गर्मी के प्रभाव से देश के कई हिस्सों में सूखे की भी स्थिति बन सकती है।  हालांकि अभी इसका असर क्या होगा, इस बारे में पूरी स्थिति स्पष्ट नहीं है। 

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क्या है ला नीना?
मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक ला नीना एक जलवायु परिघटना है जिसमें प्रशांत महासागर के पूर्वी मध्य भाग में समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से कम हो जाता है।  इसका प्रभाव वैश्विक वायु प्रवाह पैटर्न को बदलता है और भारतीय मानसून के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करता है।  ला नीना के वर्षों में आमतौर पर भारत में सामान्य से अधिक या सामान्य वर्षा होती है। 

अल नीनो क्या है?
अल-नीनो इफेक्ट मौसम संबंधी एक विशेष घटना की एक स्थिति है, जो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है।  सरल भाषा में समझे तो इस इफेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है।  इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है।  ऐसी स्थिति में दक्षिण एशिया क्षेत्र में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं।  भारत इसी क्षेत्र में है इसलिए अल नीनो के प्रभाव से यहां गर्मी बढ़ती है।