Charlie Chaplin : चार्ली चैपलिन जो दुनिया के नम्बर 1 कॉमेडियन थे, जानिए उनकी जीवनशैली के बारे में?
HARYANA NEWS HUB (ब्यूरो) : चार्ली चैपलिन का नाम सुनते ही सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है, क्योंकि उन्होंने जिंदगी में मुसीबतों और दर्द में भी लोगों को ठहाके लगाने की सीख दी थी। सर चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन को बच्चा बच्चा भी चार्ली चैपलिन के नाम से जानता है। उनकी बातों में, अदाकारी में, लहजे में... यहां तक की उनके हर एक अंदाज में लोगों को हंसाने की कला छिपी हुई थी
ऐसे कई फिल्म निर्माता और कलाकार रहे हैं, जिन्होंने सिनेमा जगत में ही नहीं बल्कि, विश्व पटल पर अपनी ऐसी छाप छोड़ी है कि वे लोगों के दिल में सदा-सदा के लिए अपनी जगह बना चुके हैं आइए जानते है पूरी जानकारी नीचे दिए गए आर्टिकल में...
5 साल की उम्र में स्टेज पर परफॉर्म करना शुरू किया :
अपने मसखरे अंदाज से लोगों का दिल जीतने वाले चार्ली चैपलिन का जन्म (Charlie Chaplin’s birthday) 16 अप्रैल 1889 को, लंदन में हुआ था। अपनी फिल्मों के लिए दुनियाभर में मशहूर चैपलिन का बचपन बेहद तंगहाली में बीता। गरीबी में बीतते बचपन में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। शायद इस मुफलिसी के कारण ही उन्होंने महज 5 साल की उम्र में स्टेज पर परफॉर्म करना शुरु कर दिया था।
फिल्मी करियर की शुरुआत :
ऐसे ही उनके फिल्मी करियर की शुरुआत हुई। 1914 में उन्होंने कीस्टोन कॉमेडिज और कई अन्य फिल्में बनाईं, जिन्हें दर्शकों ने खूब पसंद किया। इसके बाद उन्होंने अपनी सबसे मशहूर फिल्मों से एक ‘द ट्रैम्प’ (the tramp) बनाई। इसके बाद चार्ली चैपलिन ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने मजाकिया अंदाज में उन्होंने कई फिल्में बनाईं और अपने करियर की बुलंदीपर पहुंच गए। वे ऐसे सितारे बनें, जिसने सिर्फ हॉलीवुड ही नहीं बल्कि, पूरी दुनिया में अपनी धाक जमाई। वे सिर्फ एक अभिनेता ही नहीं बल्कि, फिल्म मेकर और कंपोजर भी थे।
नेहरू-चैपलिन की मुलाकात :
उनके जन्मदिन (Charlie Chaplin’s birthday) पर चार्ली चैपलिन के जीवन का एक किस्सा याद आता है। बात साल 1953 की है, जब भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू एक बैठक में शामिल होने के लिए स्विट्जरलैंड गए थे। वहां उनकी मुलाकात चार्ली चैपलिन से हुई। चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में भी इस मुलाकात का जिक्र भी किया है।
अगले दिन पं. नेहरू और चैपलिन कार में कहीं जा रहे थे और दोनों बातों में खूब मशगूल थे कि तभी दुर्घटना से बचाने के लिए उनके ड्राइवर ने अचानक ब्रेक लगाया, जिससे उनकी कार दूसरी गाड़ी से टकराते-टकराते बची। इस दौरान उन दोनों की जान बाल-बाल बची थी।
क्यों करना पड़ा कंक्रीट की परतों के बीच दफन?
चार्ली चैपलिन से जुड़ा एक और अद्भुत किस्सा है, जो उनकी मृत्यु के बाद हुआ था। साल 1977 में चैपलिन का निधन हुआ, जिसके बाद उन्हें एक कब्रिस्तान में दफनाया गया, लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद कुछ चोरों ने उनके ताबूत को चुरा लिया।
उन चोरों ने चैपलिन की पत्नी से ताबूत लौटाने के लिए फिरौती में 4 करोड़ 90 लाख रुपए की मांग की थी, लेकिन उनकी पत्नी ने यह रकम देने से इनकार कर दिया। इसके बाद कहा जाता है कि चोरों ने चैपलिन के बच्चों को भी धमकाया था।
हालांकि, कुछ ही दिनों में चोरों को पकड़ लिया गया था, लेकिन इस घटना के बाद चैपलिन के ताबूत को लेकर सुरक्षा की दृष्टि से चिंता बढ़ गई थी, जिसके बाद यह सुनिश्चित करने के लिए कि ऐसी घटना दोबारा न हो, उनके ताबूत को कंक्रीट की मजबूत परतों के बीच रखकर दफनाया गया।