Success Story : खाने तक पैसे नही थे पास , आज खड़ी कर दी अरबों -खरबों की कंपनी महिला ने दान किये 96 करोड़ रुपये
Kiran Mazumdar-Shaw Success Story : दोस्तों आपने कई बार सफलता की कहानी को tv या नाटको में जरूर देखा होगा लेकिन आज हम आपको बतायेंगे एक ऐसी औरत के बारे में जो अपनी कड़ी मेहनत के दम पर अरबों खरबों की कंपनी को खड़ा कर दिया जिसके पास में खाने तक के भी पैसे नही थे और आज के वक्त में रईस खानदान से बिलोंग करती है उनका नाम है किरन मजूमदार-शॉ इन्होंने सच में बहुत बड़ी कंपनी खड़ी कर के सबको चोंका दिया आइए जानते है इनके बारे में पूरी जानकारी न्यूज़ में-
HARYANA NEWS HUB - आज के इस दौर में महिलाएं भी पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। चाहे कोई भी क्षेत्र हो, महिलाओं ने अपनी काबिलियत का लोहा (iron of ability) मनवाया है। आज हम बात ऐसी ही एक महिला की करेंगे, जो बेंगलुरु की सबसे अमीर महिला (richest woman in bengaluru) हैं और जिन्हें 10 हजार रुपये से खरबों रुपये की कंपनी खड़ी कर दी। यही नहीं, उन्होंने पिछले साल 96 करोड़ रुपये दान भी किए। उस महिला का नाम है- किरन मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar-Shaw)।
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2023 में दान किए 96 करोड़ रुपये
किरन मजूमदार-शॉ (Kiran Mazumdar-Shaw) बिजनेस सेक्टर का जाना पहचाना नाम है। उन्होंने लोगों की भलाई के लिए भी बहुत सारे काम किए हैं। पिछले साल जारी EdelGive Hurun India Philanthropy List 2023 में उनका नाम दूसरे नंबर पर था। उन्होंने 2023 में 96 करोड़ रुपये दान किए थे, जिसमें से सबसे अधिक डोनेशन साइंस, रिसर्च और एजुकेशन (Education) के फील्ड में दिया गया था।
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कौन हैं किरन मजूमदार-शॉ?
किरन मजूमदार-शॉ बॉयोकॉन लिमिटेड (Biocon Limited) की फाउंडर हैं। इस कंपनी की मार्केट वैल्यू आज 347000000000 (तीन खरब 47 अरब रुपये) है। यह एक बॉयोफार्मास्युटिकल कंपनी(biopharmaceutical company) है। उनका जन्म 23 मार्च 1953 को कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हुआ था। इस समय उनकी उम्र 70 साल है। उनके पिता का नाम रसेंद्र मजूमदार था।
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किरन मजमूदार-शॉ ने कहां से की पढ़ाई?
किरन मजमूदार-शॉ ने अपनी शुरुआती पढ़ाई बेंगलुरु के बिशप कॉटन गर्ल्स हाई स्कूल से की। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु यूनिवर्सिटी से संबद्ध माउंट कारमेल कॉलेज से पढ़ाई की है। किरन ने 1973 में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी (university) से बायोलॉजी और जूलॉजी से ग्रेजुएशन किया है।
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डॉक्टर बनना चाहती थीं किरन
किरन मजूमदार का सपना (Kiran Majumdar's dream) डॉक्टर बनने का था, लेकिन उनका यह सपना अधूरा रह गया, क्योंकि वे स्कॉलरशिप हासिल नहीं कर पाईं। हालांकि, बाद में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी (melborn university ) से माल्टिंग और ब्रूविंग (शराब बनाना) की पढ़ाई की और 1975 में मास्टर ब्रूवर की डिग्री हासिल की।
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बॉयोकॉन की कब हुई स्थापना?
ऑस्ट्रेलिया से वापस लौटने पर किरन मजूमदार ने 1978 में बॉयोकॉन की स्थापना की। उन्होंने इस कंपनी की शुरुआत (company launch) एक छोटे गैराज के रूप में महज 10 हजार रुपये से की। कंपनी ने अपनी शुरुआत पपीता से पेपेन एंजाइम निकालकर की। इसका इस्तेमाल मांस को मुलायम करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, उन्होंने बीयर को साफ करने में इस्तेमाल किए जाने वाले इंसिग्लास के एक्स्ट्रैक्शन के बिजनेस में भी अपनी किस्मत आजमाई। एक साल के अंदर ही किरन को बड़ी सफलता मिली और बॉयोकॉन पहली ऐसी कंपनी बन गई, जो अमेरिका और यूरोप के कई हिस्सों में एंजाइम का निर्यात करती है। मौजूदा समय में किरन की नेटवर्थ 23247 करोड़ रुपये है।
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