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Success Story : नही थे खाने तक के पैसे फिर 17 रुपए में की दुकान, आज है करोड़ों के मालिक

Radha Govind A Success Story : दोस्तों आपको कई बार सफलता की कहानी को देखा या सुना होगा लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शक्स की कहानी के बारे में बतायेंगे उन्होंने केवल 17 रुपए में एक छोटी सी दुकान खोली और साथ में ही घर के बिगड़े हालतों को सुधारा लेकिन आज राधा गोविन्द 8 करोड़ का buisness खड़ा करने में सफल रहे है और आज वे रईस की श्रेणी में आते है आइए जानकारी है और अधिक जानकारी न्यूज़ में-

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Success Story : नही थे खाने तक के पैसे फिर 17 रुपए में की दुकान, आज है करोड़ों के मालिक 

HARYANA NEWS HUB : कहते हैं कि अगर कुछ कर गुजरने का जुनून आपके अंदर हो तो देर से ही सही सफलता मिलती ही है। भले ही रास्ते में कई कठिनाईयां आए,

Cheque Bounce को लेकर बनाए गए नए नियम, जानिए

लेकिन अगर कोशिश सच्चे मन से की जाए को मंजिल को हासिल करना मुश्किल नहीं।


राधा गोविंद (Radha Govind) ने तो कई मुश्कलें झेली, हालात ऐसे भी बने कि उन्होंने अपनी जिंदगी को खत्म करने तक का फैसला कर लिया था, लेकिन बार-बार फेल होने के बावजूद उन्होंने कोशिश जारी रखी और आज करोड़ों का कारोबार (business worth crores) खड़ा करने में सफल रहे।

जयपुर की ब्लॉक प्रिटिंग के दम पर उन्होंने मुबंई जैसे शहर में अपने कई आउटलेट्स (outlets) खोल लिए। पुश्तैनी काम को नया रंग दे दिया। जो परिवार कभी दो वक्त की रोटी के लिए जूझ रहा था आज करोड़ों का कारोबार संभाल रहा है। आज कहानी 'ओहो ! जयपुर’ के फाउंडर राधा गोविंद के संघर्ष से सफलता तक की...

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500 साल पुराना बिजनेस

रिपोर्ट के मुताबिक जयपुर से 30 किमी दूर बेगरू गांव के रहने वाले राधा गोविंद का परिवार 500 साल से ज्यादा पुरानी अपनी पुश्तैनी ब्लॉक प्रिंटिंग का कारोबार करता रहा है। उनके दादा-परदादा सब इस कारोबार से जुड़े थे। कारोबार को परिवार आगे बढ़ा रहा था, लेकिन समय के साथ चीजें बदलने लगी। 

काम बंद होने लगा, कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया। काम बंद हुआ तो परिवार भी मुश्किल में आ गया। खाने-पीने तक की दिक्कत होने लगी। उस वक्त राधा-गोविंद केवल 7-8 साल के थे। कर्जदार घर पर अपना उधार मांगने आने लगे। मां को दूसरों से आटा-चावल मांगना पड़ रहा था। राधा गोविंद चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे थे।

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17 रुपये से शुरू की दुकान

घर की हालत खराब होती जा रही था। फीस नहीं भर पाने की वजह से उन्हें स्कूल छोड़ना पड़ा। उन्हें इस बात का इतना दुख हुआ कि वो घर छोड़कर भागने का प्लान बनाने लगे, लेकिन कोई रास्ता ना दिखा तो वापस घर लौट आए।

घर लौटे तो देखा मां बेसुध पड़ी है। उन्होंने ठान लिया कि वो हालात से भागने के बजाए उसका सामना करेंगे। उन्होंने अपने गुल्लक से 17 रुपये किसी तरह से जोड़े और घर के चबूतरे पर ही एक छोटी सी दुकान खोलकर चॉकलेट-बिस्कुट बेचने लगे।

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मुंबई ने बदल दी किस्मत

राधा गोविंद समझ चुके थे घर किस्मत बदलनी है तो घर से बाहर निकलना पड़ेगा। उन्होंने मुंबई का रुख किया। दो जोड़ी कपड़ा और एक चप्पल लेकर मुंबई पहुंच गए। वहां न कोई जान पहचान का था, न कोई काम। 

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दो-तीन रातें स्टेशन पर गुजारी। जब भी कोई सूट-बूट वाला दिख जाता, उससे काम की भीख मांगते थे। मुंबई से उनकी किस्मत बदल दी। राधा गोविंद ने रात-दिन एक कर पैसे कमाए और 45 हजार रुपये लेकर वापस अपने गांव गए। 

साल 2014-15 में उन्होंने गांव के कारीगरों से कपड़े बनवाना शुरू किया। उन कपड़ों को वो मुंबई लेजाकर बेचते थे। हाथों की कढ़ाई से बने कपड़े मुंबई में खूब बिकने लगे।

करोड़ों का कारोबार

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उन्होंने 10 सालों के भीतर मुंबई में 'ओहो ! जयपुर’की 3 से 4 आउटलेट्स खोल दिए। जो कभी खुद काम मांगता था, आज जरूरतमंदों को नौकरी दे रहा है। खासकर उन लोगों को ,जिन्हें बाकी लोग ठुकरा देते हैं।

आज उनका सालाना बिजनेस 8 करोड़ से अधिक का हो चुका है। ऑफलाइन आउटलेट्स के अलावा ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया के जरिए 'ओहो ! जयपुर’ के कपड़ों की भारी डिमांड है। 

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