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Success Story : खाते में थे सिर्फ 5 लाख रुपए, अब खड़ी की 6,985 करोड़ की कंपनी

Success Story in Hindi : सब लोग करोड़पति बनने का सपना तो देखते है लेकिन इस सपने को पूरा कोई ही कर पाता है। आज इस शख्स ने अपने इस सपने को पूरा कर दिया है। आपको बता दें कि कभी इनके पास खाते में पांच हजार रुपए थे और आज 6,985 करोड़ की कंपनी खड़ी कर दी है। आइए नीचे आर्टिकल में जानते है इसकी स्टोरी के बारे में.

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Success Story : खाते में थे सिर्फ 5 लाख रुपए, अब खड़ी की 6,985 करोड़ की कंपनी

HARYANA NEWS HUB : आजकल हर युवा बिजनेस( every youth business ) करना चाहता है लेकिन सबकी राह में पैसा आड़े आ जाता है. क्योंकि, हर धंधे के लिए बड़ी पूंजी जरूरी है. ऐसे में या तो बैंक से लोन लिया जाए या फिर जो जमा पूंजी पास हो उससे ही छोटी-सी शुरुआत की जाए. देश में ऐसे कई युवा उद्यमी हैं जिन्होंने शून्य से शिखर का सफर( journey from zero to peak ) तय करके मिसाल कायम की है. फणींद्र सामा( Phanindra Sama ) उनमें से ही एक बड़ा नाम है.

 

लेकिन, ज्यादातर लोगों ने यह नाम शायद ही पहले सुना नहीं हो. फणींद्र सामा इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम( Phanindra Sama Indian Startup Ecosystem ) में एक जाना-माना नाम है. कई लोग इस युवा उद्यमी को बस टिकटिंग प्लेटफॉर्म रेडबस( ticketing platform redbus ) के संस्थापक के रूप में पहचानते हैं. इस युवा ने पढ़-लिखकर नौकरी की और फिर खुद का बिजनेस शुरू( start business ) करने का सपना देखा, लेकिन यह सपना बड़ा था और पैसे कम, फिर भी बंदे ने हार नहीं मानी और 3 दोस्तों के साथ मिलकर अपना स्टार्टअप शुरू किया.

 

हैरानी की बात है कि जब फणींद्र सामा ने अपना स्टार्टअप शुरू( Phanindra Sama started his startup ) किया तब उनके पास महज 5 लाख रुपये थे. लेकिन अब उनकी कंपनी की कीमत 6985 करोड़ रुपये है. लेकिन, कामयाबी के शिखर तक पहुंचने के लिए फणींद्र सामा को कड़ी मेहनत( Phanindra Sama works hard ) करनी पड़ी. आइये आपको सिलसिलेवार तरीके से बताते हैं कि फणींद्र ने कैसे हर कठिनाई को पार किया.

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जेब में थे सिर्फ 5 लाख :

फणींद्र सामा का जन्म 15 अगस्त 1980 में तेलंगाना के निजामाबाद जिले के एक छोटे-से गांव में हुआ था. फणींद्र सामा ने बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस से ग्रेजुएशन पूरा किया. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात सुधाकर पसुपुनुरी और चरण पद्माराजू से हुई और तीनों दोस्त बन गए. रेडबस को शुरू करने से पहले तीनों ने अलग-अलग कंपनियों में काम किया. जॉब करते हुए फणींद्र सामा के मन में अपना बिजनेस करने का ख्याल आया. फिर क्या था उन्होंने अपने तीनों दोस्तों को इस बारे में बताया. 2006 में फणींद्र सामा, सुधाकर पसुपुनुरी और चरण पद्मराजू ने मिलकर रेडबस की शुरुआत की.

कैसे आया बिजनेस करने का ख्याल :

फणींद्र सामा को रेडबस शुरु करने का ख्याल उस वक्त आया जब उन्हें त्योहार के सीजन में अपने शहर जाने के लिए बस टिकट बुक करने के लिए संघर्ष करना पड़ा. बस उसी वक्त फणींद्र ने एक ऐसा सिस्टम बनाने का संकल्प ले लिया जिससे टिकट को लेकर आम यात्री की मुश्किल और झंझट दूर हो जाए. फणींद्र सामा की लीडरशिप में शुरू हुए रेडबस ऑनलाइन प्लेटफार्म ने भारत में बस टिकटिंग प्रोसेस में क्रांति ला दी. इस प्लेटफ़ॉर्म ने टिकट बुकिंग प्रोसेस को आसान बना दिया.

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खूब चला धंधा :

रेडबस को देशभर में लाखों ग्राहक मिले और बिजनेस तेजी से बढ़ता गया. कंपनी की हैसियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2007 में, रेडबस को 1 मिलियन डॉलर की पहली फंडिंग मिली. देश के कुछ सबसे बड़े निवेशकों के सहयोग से, रेडबस कुछ ही वर्षों में ऑनलाइन टिकटिंग मार्केट में लीडर बन गया.


2013 में रेडबस को दक्षिण अफ्रीका के नैस्पर्स और चीन के टेनसेंट के ज्वाइंट वेंचर, इबिबो ग्रुप ने अधिग्रहित कर लिया, जो उस समय इंडियन स्टार्टअप इंडस्ट्री में सबसे बड़ा विदेशी सौदा था. इस प्लेटफॉर्म का अधिग्रहण 828 करोड़ रुपये में किया गया था.


अधिग्रहण के बाद कुछ समय तक फणींद्र सामा रेडबस के साथ जुड़े रहे और फिर अन्य बिजनेस वेंचर में चले गए. बिजनेस के साथ-साथ फणींद्र सामा विभिन्न सामाजिक और परोपकारी कार्यों में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं. उन्होंने तेलंगाना राज्य के चीफ इनोवेशन ऑफिसर के रूप में कार्य किया और सरकार को विशेष सहयोग दिया.