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Success Story : कभी करता था एक हजार की नौकरी, आज है 5000 करोड़ की कंपनी का मालिक, जानिए कैसे हासिल किया मुकाम

success story in hindi : जिंदगी में कामयाब होने के लिए मेहनत की जरूरत होती है और साथ में हौसले बुलंद होने चाहिए। अगर ये चीज जिंदगी में करते है तो हमें एक दिन सफलता जरूर हासिल होती है। आज हम आपको इस खबर के माध्यम से ऐसे बिजनेस मैन के बारे में बताएंगे जो कभी सिर्फ एक हजार रुपए की नौकरी करता था। आज वह 5000 करोड़ की कंपनी के मालिक है। आइए नीचे आर्टिकल में जानते है कैसे हासिल हुई सफलता।

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Success Story : कभी करता था एक हजार की नौकरी, आज है 5000 करोड़ की कंपनी का मालिक, जानिए कैसे हासिल किया मुकाम

HR NEWS HUB (ब्यूरो) : किसी ने सही कहा है कि हार नहीं मानकर लगातार प्रयास करने वालों को ही सफलता मिलती है। अगर परिस्थितियों से सामना करते हुए अपने लक्ष्य के तरफ बढ़ते रहते तो सफलता एक दिन आपके कदम जरूर चूमेगी। चाहे पर्सनल लाइफ में तरक्की हो या फिर बिजनेस( success story ) को आगे ले जाना हो, यह फॉर्मूला हर जगह काम आता है। इस खबर में आज हम आपको जिस बिजनेसमैन के बारे में बताने वाले हैं उनकी भी सफलता की कहानी कुछ ऐसी ही है।


इस सफल बिजनेसमैन ने सिनेमा हॉल में सीटों को ठीक करने से लेकर 1000 रुपये की बेहद मामूली सैलरी में नौकरी की। फिर इन्होंने कुछ ऐसा काम शुरू किया जो एक सफल बिजनेस की नींव बन गई। यहां हम बता रहे हैं बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड के फाउंडर चंदूभाई वीरानी के बारे में जो आग 5000 करोड़ रूपये की कंपनी के मलिक हैं…

बचपन से झेली पैसों की किल्लत :

चंदूभाई वीरानी का जन्म 31 जनवरी, 1957 को गुजरात के जामनगर में एक किसान परिवार में हुआ। वह काफी आर्थिक संघर्षों में बड़े हुए। 15 साल की उम्र में चंदूभाई और उनका परिवार ढुंडोराजी चले गए, और अपने पिता की बचत पर निर्भर रहे। चंदूभाई और उनके दो भाइयों को 20,000 रुपये सौंपे गए थे और उन्होंने इसका इस्तेमाल राजकोट में कृषि उत्पादों( success story in hindi ) और कृषि उपकरणों का व्यवसाय शुरू करने के लिए किया, लेकिन दुर्भाग्य से वह व्यवसाय दो साल के भीतर घाटे में चला गया, जिससे परिवार गहरी वित्तीय परेशानियों में फंस गया।

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पेट भरने के लिए की छोटी नौकरी :

चंदूभाई ने अपने परिवार का समर्थन करने के लिए छोटी-मोटी नौकरियां भी कीं। उन्होंने एस्ट्रोन सिनेमा में एक कैंटीन में काम किया। वह सिनेमा हॉल की फटी सीटों की मरम्मत भी करते थे। इसके अलावा उन्होंने कंपनी के लिए पोस्टर चिपकाने का भी काम किया। वित्तीय बोझ से बचने के लिए, परिवार कुछ समय के लिए अपने किराए के घर से बाहर चला गया। हालांकि, आशा की एक किरण तब जगी जब चंदूभाई और उनके भाई को 1,000 रुपये प्रति माह की तनख्वा पर कैंटीन में नौकरी मिल गई।

इस आईडिया ने बदल दी किस्मत :

थिएटर में काम करते हुए उन्होंने देखा कि स्नैक्स के रूप में वेफर्स की मांग काफी अधिक है। फिर क्या था, चंदूभाई ने को इसी में बिजनेस शुरू करने का जोखिम उठाया और इसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उन्होंने अपने आंगन में एक अस्थायी शेड बनाया और 10,000 रुपये के मामूली निवेश के साथ आलू चिप्स बनाने का काम शुरू कर दिया।

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ऐसे खड़ा किया 5000 करोड़ का बिजनेस :

उनके घर में बने चिप्स को थिएटर के अंदर और बाहर दोनों जगह पर लोगों को खूब पसंद आने लगे और बिक्री भी तेजी से बढ़ने लगी। इस उपलब्धि से उत्साहित होकर, चंदूभाई ने बैंक से लगभग 50 लाख रुपये का लोन लेकर 1989 में राजकोट के आजी जीआईडीसी में गुजरात की सबसे बड़ी आलू वेफर फैक्ट्री खोली।

चंदूभाई और उनके भाइयों ने 1992 में बालाजी वेफर्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। आज नमकीन के मार्केट में बालाजी वेफर्स का मार्केट शेयर करीब 12% का है जिसकी वैल्यू तकरीबन 43,800 करोड़ रुपये की है। बालाजी वेफर्स भारत की तीसरी सबसे बड़ी नमकीन प्रोडक्ट्स की कंपनी है।

पिछले साल मार्च में, बालाजी वेफर्स ने 5,000 करोड़ रुपये का कारोबार किया और 7,000 लोगों को रोजगार दिया, जिसमें आधी कामकाजी महिलाएं शामिल थीं। कंपनी की उत्पादन क्षमता भी प्रभावशाली है क्योंकि यह प्रति घंटे 3,400 किलोग्राम चिप्स का उत्पादन कर सकती है।