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Success Story : किसानों की तरफ से मिला प्यार, फिर अपनी मेहनत से शुरू किया बिजनेस और आज है करोड़पति

Success Story in Hindi : बता दें कि मेहनत के आगे किस्मत भी झुक जाती है मेहनत और लगन से बिजनेस शुरु करते हुए तो आपने बहुत को देखा होगा लेकिन आज हम आपको ऐसे शख्स के बारे में बताना चाहेंगे जिन्हें किसानों के प्यार से ही बिजनेस को शुरू कर दिया और अपनी कड़ी मेहनत करकर कुछ ही समय में करोड़ों रुपए कमा लिए आइए जानते है इस शख्स के बारे में न्यूज़ में विस्तार से-
 
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Success Story : किसानों की तरफ से मिला प्यार, फिर अपनी मेहनत से शुरू किया बिजनेस और आज है करोड़पति

HARYANA NEWS HUB : भारत देश का सिस्टम कुछ ऐसा ही है कि यहां पर यदि किसान की फसल बर्बाद हो जाए तो भी दिक्कत और अगर उसकी पैदावर बहुत अच्छी हो जाए तो अच्छा रेट नहीं मिलने की वजह से दिक्कत. 
अब सवाल यह उठता है कि क्या इसका कोई समाधान हो सकता है? अब किसानों  के लिए खुशखबरी है क्योंकि एग्रीटेक स्टार्टअप (Agritech Startup) ग्राम उन्नति (Gram Unnati) के अनीश जैन (Aneesh Jain business) ने इसका समाधान निकाल लिया है. 

अब वह किसानों और कंपनियों के बीच में एक ब्रिज की तरह काम कर रहे हैं. नतीजा ये हो रहा है कि किसानों को उनकी फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं, वहीं कंपनियों को उनके मन मुताबिक फसल मिल रही है.

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वर्ष 2013 में 4 करोड़ रुपये के साथ की थी अपने बिजनेस की शुरुआत-

बता दें कि लखनऊ के रहने वाले 39 साल के अनीश जैन ने मार्च 2013 में ग्राम उन्नति की शुरुआत की थी. शुरुआती 5 साल मार्केट एनालिसिस में लगे और 2018 में उन्होंने ग्राउंड लेवल पर कंपनी का काम शुरू किया. जैसा इस स्टार्टअप का नाम है, वैसा ही इसका काम है. 

यह स्टार्टअप गांवों की उन्नति की वजह बनता जा रहा है. किसानों को ग्राम उन्नति स्टार्टअप की वजह से काफी मदद मिल रही है. अनीश को इस स्टार्टअप को शुरू करने में अपनी सारी सेविंग्स लगानी पड़ीं. 

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उनकी अपनी सेविंग्स भी कम पड़ गईं तो उन्होंने दोस्तों-रिश्तेदारों से पैसे मांगे और उन्हें भी बिजनेस में लगा दिया. अनीश ने करीब 4 करोड़ के निवेश के साथ बिजनेस शुरू किया था और आज कंपनी का टर्नओवर 100 करोड़ रुपये के करीब पहुंच चुका है.

पूरे 7 राज्यों में चल रहा काम, राज्य सरकारों से भी मिल रही पूरी मदद-

ग्राम उन्नति कंपनी अभी 7 राज्यों में काम कर रही है. ये राज्य यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, एपी, हरियाणा, महाराष्ट्र और ओडिशा हैं. हर राज्य में उनका काम तेजी से चल रहा है और जगह की सरकार के साथ मिलकर वह कुछ बेहतर करने की कोशिश में लगे हुए हैं. 

ग्राम उन्नति का काम कितना शानदार है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अब तमाम राज्यों की सरकारें खुद आगे बढ़कर उनकी मदद कर रही हैं. 

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सरकार ये अच्छे से समझती है कि जिस देश में अधिकतर लोग एग्रीकल्चर पर निर्भर हैं, वहां एग्रीकल्चर सेक्टर (Agriculture Sector) में इनोवेशन जरूरी है और तमाम स्टार्टअप इसी काम में लगे हुए हैं.

लाखों की नौकरी छोड़ शुरू किया बिजनेस-

अनीश जैन ने अपनी स्कूलिंग लखनऊ से ही की है, लेकिन उसके बाद वह आईआईटी खड़गपुर गए और वहां से 2007 में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई पूरी की. हर आईआईटी और आईआईएम स्टूडेंट का सपना होता है कि एक दिन वह McKinsey में काम करे, अनीश ने भी पढ़ाई के दौरान ये पना देखा था।

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उनका वो सपना सच भी हुआ और वह McKinsey में तगड़े पैकेज पर नौकरी करने लगे. McKinsey में पहुंचने का मतलब है कि उन्हें 50-60 लाख रुपये का पैकेज आसानी से मिल होगा, जो आईआईटी-आईआईएम के लोगों के लिए कोई बड़ी बात नहीं. हालांकि, कुछ ही समय नौकरी करने के बाद उन्होंने अपनी लाखों की नौकरी छोड़ दी और अपना खुद का स्टार्टअप शुरू कर लिया. 

परिवार से मिला पूरा स्पोर्ट-

इस कठिन फैसले को लेने में अनीश (Aneesh Jain) की मां ने उनकी खूब मदद की. अनीश के पिता इस दुनिया में नहीं है और अनीश को हमेशा ही उनकी कमी खलती है. अनीश बताते हैं कि उनकी मां हमेशा ही उनके लिए एक शील्ड का काम करती हैं. 

इस बिजनेस को सफल बनाने में उनकी पत्नी ने भी खूब साथ निभाया है. दोस्तों-रिश्तेदारों ने भी मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और अनीश उन सभी की उम्मीदों पर खरे उतरते जा रहे हैं.

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किसानों से मिले प्यार के चलते एग्रीकल्चर को ही बना लिया करियर-

ऐसा नहीं है कि अनीश जैन ने नौकरी छोड़ते ही बिजनेस शुरू कर दिया. उन्होंने करीब साल भर का ब्रेक लिया और उस दौरान असली भारत को समझने लगे, जो गांवों में बसता है. 

अनीश जैन ने उस दौरान राजस्थान में काम करने वाले एक एनजीओ के साथ मिलकर काम किया और एग्रीकल्चर के बारे में बहुत कुछ सीखा. अनीश को किसानों की एक बात बहुत अच्छी लगती थी कि भले ही उनका कितना भी बड़ा नुकसान क्यों ना हुआ हो, वह मेहमानों की खातिरदारी में कोई कमी नहीं करते हैं. 

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अनीश बताते हैं कि वह जहां चाहे वहां जाकर खाना खा लेते थे, किसान उन्हें अपना खेत पूरे उत्साह से दिखाते थे और ये सब देखकर अनीश के मन में किसानों के लिए एक प्यार पैदा हुआ. वहां अनीश को समझ में आया कि किसानों को अपना सामान बेचने में सबसे ज्यादा दिक्कतें हो रही हैं. 

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले अनीश जैन यूं तो एग्रीकल्चर सेक्टर में घुसने वाले नहीं थे, लेकिन किसानों का प्यार उन्हें एग्रीकल्चर में खींच लाया. नतीजा ये हुआ कि अनीश ने एग्रीटेक स्टार्टअप ग्राम उन्नति शुरू किया.

ग्राम उन्नति का बिजनेस मॉडल भी समझिए-

इस स्टार्टअप (business startup) के दो स्टेक होल्डर हैं. पहला किसान जो फसल उगाता है और दूसरा कंपनियां, जो उस फसल का इस्तेमाल करती हैं. अनीश जैन दोनों के बीच में एक ब्रिज की तरह काम करते हैं. 

वह कंपनियों से उनकी जरूरत समझते हैं और किसानों से वही फसल उगाने को कहते हैं. इस तरह कंपनियों को आसानी से फसल मिल जाती है और किसानों को फसल बेचने की चिंता नहीं होती. 

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काफी चुनौतियों का किया सामना-

अनीश जैन को शुरुआती दौर में इस बिजनेस  में घुसने के लिए पुराने सिस्टम को तोड़ना पड़ा, जो उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती रही. अनीश जैन ने एक बेहतर सिस्टम तो किसानों को दिया, लेकिन किसानों का भरोसा जीतना शुरुआती दौर में थोड़ा मुश्किल रहा. 

वहीं खेती की सबसे बड़ी चुनौती रही 'मौसम', जिस पर काबू पाना बहुत मुश्किल रहा. हालांकि, मौसम की मार से निपटने के लिए अनीश जैन अगेती, पछेती, सूखे आदि की फसलें उगाते हैं, ताकि हर वक्त सप्लाई बनी रहे.

आज तक बूटस्ट्रैप्ड है कंपनी-

ग्राम उन्नति अभी तक एक बूटस्ट्रैप्ड कंपनी (Gram Unnati a bootstrapped company) है. अनीश कहते हैं कि अगर कोई ऐसा निवेशक मिला जो बिजनेस में सिर्फ पैसे ना लाए, बल्कि बिजनेस को तेजी से ग्रो करने में मदद करे तो वह भविष्य में फंडिंग भी ले सकते हैं. 

अभी वह सरकारों और कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ मिलकर खूब काम कर रहे हैं, जिसके चलते उनके पास मौजूदा 7 राज्यों में ही इतना काम है कि वह अभी दूसरे राज्यों में अपना बिजनेस बढ़ाने की सोच भी नहीं पा रहे हैं. अनीश कहते हैं कि इन 7 राज्यों में ही इतना सारा काम है कि अभी कई सालों तक उन्हें यहीं बहुत सारा काम करना होगा.

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