Highcourt : हरियाणा में कॉलेज लेक्चरर अध्यापक के 2000 से अधिक पद खाली, हाईकोर्ट ने कहा; जानिए
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HARYANA NEWS HUB (ब्यूरो) : पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कॉलेजों में शिक्षण को 'जिम्मेदारी भरा काम' बताते हुए हरियाणा राज्य को न्यूनतम यूजीसी योग्यता नहीं रखने वाले व्यक्तियों को राहत देने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।राज्य को नियमित पदों के विज्ञापन के लिए "सकारात्मक" कदम उठाने के लिए भी कहा गया है।
चयन प्रक्रिया शुरू करने और विज्ञापन जारी करने के लिए हाई कोर्ट ने छह महीने की समय सीमा भी तय की है.यह निर्देश तब आए जब न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की खंडपीठ ने कहा: "यदि व्यक्तियों के पास यूजीसी द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता - नेट/पीएचडी नहीं है, तो कोई केवल उन छात्रों की दुर्दशा की कल्पना कर सकता है
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जिन्हें ऐसे पढ़ाया जा रहा है कोर्ट ने अब सरकार को छह माह में नियमित भर्ती करने का आदेश दिया है। साथ ही स्पष्ट किया कि आयु में छूट का लाभ केवल योग्य शिक्षकों को दिया जाए आइए जानते है पूरी जानकारी नीचे दिए गए आर्टिकल में....
हाईकोर्ट के समक्ष विभिन्न पक्षों की अलग-अलग याचिकाएं विचाराधीन थीं। इन सभी पर एक साथ फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश के कॉलेजों में एक्सटेंशन लेक्चररों कार्यरत है। इन पदों पर भर्ती के समय यूजीसी की तरफ से 2010 में तय की गई न्यूनतम योग्यता का ध्यान नहीं रखा गया।
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नेट या पीएचडी इसके लिए अनिवार्य है लेकिन बिना इस योग्यता के भी बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इसके खिलाफ जब मामला हाईकोर्ट पहुंचा तो सिंगल बेंच ने 2020 में अनिवार्य योग्यता पाने वालों को ही रखने और बाकी को बाहर करने का आदेश दिया था।
इस फैसले के खिलाफ सरकार खंडपीठ में पहुंची तो वहां 2020 की तय की गई कट ऑफ पर सवाल उठाते हुए इस पर रोक लगा दी गई। इसके बाद हरियाणा सरकार दिसंबर 2023 में नोटिफिकेशन लेकर आई और नई कट ऑफ तय कर दी। हाईकोर्ट ने कहा कि विद्यार्थियों को अधिकार है कि वे योग्य शिक्षकों से पढ़ें लेकिन उनको निर्धारित योग्यता पूरी नहीं करने वाले एक्सटेंशन लेक्चररों से पढ़ने को मजबूर होना पड़ रहा है।
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हाईकोर्ट ने कहा कि अभी नियमित शिक्षकों के कॉलेजों में 2300 पद रिक्त हैं। इन पदों को भरने के लिए छह माह का समय दिया है। नियमित भर्ती होने तक निर्धारित योग्यता रखने वाले एक्सटेंशन लेक्चररों को शिक्षण का मौका दिया जा सकता है और सरकार चाहे तो बाकी को सेवा से बाहर भी कर सकती है। नियुक्ति के दौरान भी आयु की छूट का लाभ केवल उन्हीं एक्सटेंशन लेक्चररों को देना चाहिए जो न्यूनतम योग्यता पूरी करते हों और बीते वर्ष उन्होंने न्यूनतम 90 दिन या एक सेमेस्टर शिक्षण कार्य किया हो।