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Haryana : काफी दिनों से चल रही तकराव, विधनसभा में भी हुआ हंगामा, गठबंधन सरकार टूटने की जानिए वजह!

Haryana BJP-JJP Alliance : हरियाणा में भाजपा जजपा की गठबंधन सरकार टूटने की आशाएं पिछले काफी समय से चल रही थी। भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी जजपा से गठबंधन काफी समय से तोड़ना चाहती थी। मगर उन्हें कोई ठोस वजह व मौका नहीं मिलने के कारण अब तक रुके रहे। आईए जानते हैं किन-किन वजह से गठबंधन सरकार टूटने की कगार पर पहुंचा।

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 Haryana : काफी दिनों से चल रही तकराव, विधनसभा में भी हुआ हंगामा, गठबंधन सरकार टूटने की जानिए वजह!

HR NEWS HUB, ब्यूरो : हरियाणा में भाजपा की ओर से जजपा से गठबंधन तोड़ने की कवायद पिछले एक साल से चल रही थी। दरअसल, इस सरकार के कार्यकाल में ही शराब और रजिस्ट्री घोटाला सामने आया। इसको लेकर विधानसभा में भी कई बार हंगामा हुआ। दोनों महत्वपूर्ण विभाग दुष्यंत चौटाला के पास थे। भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी जजपा से गठबंधन काफी समय से तोड़ना चाहती थी। मगर उन्हें कोई ठोस वजह व मौका नहीं मिलने के कारण अब तक रुके रहे। 


विपक्ष आरोप लगाता था, मगर भाजपा चुप्पी साध लेती थी। यहां तक कि इन घोटालों की रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है। पार्टी के कई विधायक भी पार्टी नेतृत्व के सामने जजपा के साथ गठबंधन रखने पर नाराजगी जता चुके थे। 

पार्टी प्रभारी बिप्लब कुमार देब-
वहीं, पार्टी प्रभारी बिप्लब कुमार देब ( Party in-charge Biplab Kumar Deb) ने भी कई मौकों पर इस बात के संकेत दे दिए थे कि भाजपा राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ेगी और किसी के साथ गठबंधन में नहीं रहेगी। वहीं दुष्यंत चौटाला कम से कम दो लोकसभा सीट मांग रहे थे। 


बताते हैं कि मनोहर लाल (Manohar Lal) किसी हाल में जजपा को दो सीटें देने के पक्ष में नहीं थे। ऐसे में यह तय किया गया कि मनोहर लाल सरकार का इस्तीफा कराकर गठबंधन को अपनी मौत मरने दिया जाए। इसलिए सिर्फ एक दिन पहले सार्वजनिक मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना पाने के बाद भी मनोहर लाल ने मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।


बजट सत्र में सीएम ने दिए थे संकेत, नहीं समझ पाए दुष्यंत-
बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Chief Minister Manohar Lal) ने सदन में संकेत दे दिए थे कि अब गठबंधन नहीं चलेगा, हालांकि तमाम घटनाक्रम के बावजूद जजपा भाजपा के इस गुप्त प्लान से अनभिज्ञ रही। 

एक तो जजपा द्वारा पर्ची नहीं देने पर भी भाजपा की ओर से जजपा विधायक रामकुमार गौतम (JJP MLA Ramkumar Gautam) को दो बार बुलवाया गया और दोनों बार गौतम ने दुष्यंत के खिलाफ मोर्चा खोला था और अकेले सभी विभाग लेने पर सवाल उठाए थे। दूसरा, एक्साइज पालिसी में प्लास्टिक की बोतलें बंद करने के दुष्यंत के फैसले को सीएम (CM) ने पलट दिया था।


कोरोना काल में शराब घोटाला हुआ। खूब हो हल्ला मचा, मगर जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई। इसी दौरान रजिस्ट्री घोटाला (Registry scam) भी हुआ। इससे भी सरकार की छवि खराब हुई। विपक्ष भी जजपा के बजाय भाजपा पर निशाना साधता था। वहीं, भाजपा के पूर्व सहयोग चौधरी बीरेंद्र सिंह भी कई मौकों पर जजपा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके थे। भाजपा के नेताओं ने यह भी आरोप लगाया है कि राज्य की भाजपा सरकार के किए गए कार्यों का भी वह श्रेय ले रहे थे।


राज्य के हाईवे में जो अभूतपूर्व सुधार व निर्माण हुआ है, उसका श्रेय दुष्यंत (Shreya Dushyant) ही लेते रहे। हालांकि विभाग उनके पास ही था, लेकिन अधिकतर योजनाएं केंद्र सरकार पास कर रही थी। वहीं, राज्य सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं में भी महिलाओं के लिए 50 फीसदी कोटा तय किया था, जिसका भी श्रेय दुष्यंत ले रहे थे। यह बातें भाजपा आलाकमान (High command) को पसंद नहीं आई और गठबंधन तोड़ने का यह भी एक कारण बना। वहीं, भाजपा के कई विधायक भी जजपा के साथ गठबंधन को लेकर अपनी नाराजगी जता चुके थे।


जाट वोट भी एक कारण-
हरियाणा की राजनीति जाट व गैर जाट वोटों के इर्द-गिर्द घूमती रही है। भाजपा का जाट वोटों में प्रभाव बहुत कम है। पार्टी का भी पता है कि आगामी चुनावों में उन्हें जाट वोट नहीं मिलेंगे। ऐसे में उनके लिए जाट वोटों का धुव्रीकरण (Polarization) उन्हें फायदे में पहुंचा सकता है। राज्य का जाट वोट कांग्रेस और इनेलो के बीच ही विभाजित होता रहा है। ऐसे में जजपा भाजपा से अलग होकर अपने उम्मीदवार उतारती है तो इससे जाट वोट विभाजित हो सकते हैं और गैर जाट वोट भाजपा के पाले में गिर सकते हैं।

 
दुष्यंत के सामने राजनीतिक संकट-
इस पूरे मामले में सबसे बड़ा राजनीतिक संकट जजपा दुष्यंत चौटाला (JJP Dushyant Chautala) के सामने आने वाला है। दुष्यंत फिलहाल उचाना कलां से विधायक हैं। वह एलान कर चुके हैं कि राज्य की दसों सीट पर वह अपने उम्मीदवार उतारेंगे। चुनाव में यदि उन्हें नतीजे ठीक नहीं मिलते हैं तो आठ महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो सकता है। वहीं, यह भी चर्चा है कि उनकी पार्टी के विधायक भी उनसे अलग हो सकते हैं। ऐसे में आने वाले दिन दुष्यंत के लिए अच्छे नहीं होने वाले।


जजपा (JJP) से गठबंधन तोड़ने के पांच कारण-
:- 1         जजपा-भाजपा से दो लोकसभा सीट लेने पर अड़ी थी, मगर भाजपा देने को तैयार नहीं थी
:- 2         भाजपा के अंदर जजपा को लेकर काफी खिलाफत थी। कई बार विधायक नेतृत्व के सामने नाराजगी जता चुके थे
:- 3         दुष्यंत चौटाला भाजपा सरकार के लिए फैसलों का श्रेय ले रहे थे, जो भाजपा को पसंद नहीं था
:- 4         भाजपा के मना करने के बावजूद जजपा ने राजस्थान में अपने उम्मीदवार उतारे थे
:- 5         जजपा के पास जो विभाग थे, उनमें विपक्ष लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा था

 
वृद्धा पेशन, किसान कर्ज माफी पर फंसा पेच- 
साढ़े चार साल में अधिकतर भाजपा (BJP) के घोषणा पत्र पर काम हुआ। वृद्धा पेंशन (old age pension) 5100 रुपये, किसानों की कर्ज माफी और पुरानी पेंशन बहाली को लेकर पेच फंसा रहा। ये तीनों ही वादे जजपा ने किए थे, लेकिन मनोहर सरकार ने साफ कर दिया था कि वह एक साथ 5100 रुपये पेंशन नहीं करेंगे और न ही कर्ज माफी के अलावा ओपीएस (OPS) बहाली होगी। जजपा का बड़ा वादा था कि निजी नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को 75 प्रतिशत नौकरियां दी जाएंगी, लेकिन यह मामला हाईकोर्ट में फंस गया था।