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From The Window of The Past : जानिए हरियाणा के ऐसे सांसद के बारे में जो मंत्र बोल के सवाल करते थे, जिनकी सादगी के किस्से हुए मशहूर

HARYANA : हरियाणा के सांसद रहे स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती जो की 1962 में करनाल से जीत हांसिल करने के बाद संसद में पहुंचे| बता दें की स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती आर्य समाज से सम्बंध रखते थे| उनका संसद में सवाल पूछने का तरीका निराला था| आइए जानते है उनके बारे में सभी दिलचस्प बातें निचे खबर में विस्तार से...

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From The Window of The Past : जानिए हरियाणा के ऐसे सांसद के बारे में जो मंत्र बोल के सवाल करते थे, जिनकी सादगी के किस्से हुए मशहूर

HARYANA NEWS HUB, (ब्यूरो) : हरियाणा के नेता और सांसद अपने सीधे-सादे रहन-सहन और खरी बात कहने के चलते दिल्ली की सत्ता के गलियारे में अलग पहचान रखते रहे हैं। किसी की मेहमाननवाजी तो किसी का संसद में सवाल (Someone's hospitality and someone's question in Parliament) उठाने का अंदाज निराला रहा है। इसी वजह से वे अपने दलों और लोगों के दिलों में अलग स्थान रखते हैं। 

ऐसे ही एक सांसद रहे हैं स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती। 1962 में करनाल से लोकसभा का चुनाव जीते। आर्य समाजी थे और जनसंघ से जुड़े रहे थे। उनकी सादगी और त्याग (simplicity and sacrifice) के किस्से आजतक पुरानी पीढ़ी की जुबान पर हैं।

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इंदिरा गांधी के साथ मीटिंग (meeting with indira gandhi)में खाई थी घर की लाई रोटी-
एक बार इंदिरा गांधी ने दिल्ली के प्रसिद्ध अशोका होटल में सांसदों के साथ मीटिंग रखी थी। बातचीत के बाद जब सब खाने की टेबल (या स्थान) की ओर जाने लगे, तो स्वामीजी ने स्वागत काउंटर (Swamiji welcome counter) की तरफ जाकर अपनी जेब से दो रोटी निकालीं और होटल कर्मचारी से अचार मंगवाकर खानी शुरू कर दीं। इंदिराजी के आग्रह के बावजूद उन्होंने सिर्फ अपनी लाई (और शायद खुद बनाई) मोटे अनाज वाली रोटी खाई। अचार का पैसा होटल को दिया और मीटिंग में फिर शामिल हो गए।

गायत्री मंत्र के बाद पूछते थे सवाल-
हरियाणा की राजनीति और इतिहास पर काम करने वाले डॉक्टर दयानंद कादियान (Dr. Dayanand Kadian) बताते हैं कि स्वामी जी अपनी बात शुरू करने से पहले वेद के एक मंत्र का उच्चारण करते थे। यहां तक कि जब वह संसद की बहस में शामिल होते अथवा कोई सवाल रखते, तो उससे पहले भी वह गायत्री मंत्र अथवा वेद मंत्र का पाठ कर लेते थे। उनका कहना था कि संसद लोगों के कल्याण का स्थान है, वहां गायत्री मंत्र का पाठ पवित्रता घोल देता है। सरकारी सुविधाओं का लाभ न लेने वाले,आचरण की शुद्धता का सदैव पालन करने वाले आर्य समाजी संत स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती (Arya Samaj saint Swami Rameshwaranand Saraswati) लगभग शतायु होकर संसार से विदा हुए थे।

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जनसंघ ने पहली बार दहाई का आंकड़ा छुआ तो हरियाणा ने तीन सीटों का योगदान दिया-
साल 1962 के आमचुनाव में जनसंघ को 14 लोकसभा सीटों पर सफलता मिली जो 1957 के चुनाव में मिली सीटों से 10 ज्यादा थीं। जनसंघ को इस चुनाव में मिलीं 14 सीटों में से तीन हरियाणा से थीं। 1962 के इस चुनाव में नए बने दल हरियाणा लोक समिति को एक सीट मिली थी। पार्टी के प्रत्याशी जगदेव सिंह सिद्धांती (Party candidate Jagdev Singh Siddhanti) ने झज्जर लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। जगदेव सिंह सिद्धांती की भी सादगी और गरीबी की चर्चा की आज तक मिसाल दी जाती है।