home page

RBI ने 500 रुपये के नोट को लेकर जारी की गाइडलाइन, कही ये बड़ी बात

Reserve Bank : रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से 500 रुपये के नोट को लेकर बड़ा दिया गया है। सोशल मीडिया पर एक मैसेज तेजी स वायरल हो रहा है जिसमें दावा किया जा रहा है कि बाजार में 500 रुपये के नकली नोटों का इस्तेमाल और लेन-देन बढ़ रहा है। इस वायरल मैसेज में सतर्क रहने की सलाह दी गई है। इसमें दावा के अनुसार, नोट पर एक साइन होने के बाद, उसे नकली करार दिया जा रहा है। तो आइए नीचे खबर में जानते है इस अपडेट से जुड़ी पूरी जानकारी के बारे में विस्तार से-

 | 
RBI ने 500 रुपये के नोट को लेकर जारी की गाइडलाइन, कही ये बड़ी बात

HARYANA NEWS HUB : भारत में नए नोट और सिक्के छापने का अधिकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के पास है। सिर्फ एक रुपये के नोट को छोड़कर सभी नोट रिजर्व बैंक छापता है जबकि एक रुपये का नोट भारत सरकार की ओर से छापा जाता है। नोट छापने के लिए पहले RBI कई मानकों को ध्यान में रखते हुए यह पता करता है कि कितने नोट छापने की जरूरत है और फिर इसके लिए सरकार से स्वीकृति ली जाती है। फिर सरकार भी आदेश देने से पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आरबीआई से इजाजत लेती है और फिर उसके आधार पर अंतिम फैसला लिया जाता है।

इसमें आखिरी फैसला सरकार का ही होता है। ऐसी ही अगर कोई नोट बंद करने करना होता है इसका फैसला भी सरकार ही लेती है। पिछले साल ही 2 हजार के नोट को बंद किया गया था और अब 500 रुपये के नोट को लेकर भी बड़ा अपडेट आया है। इसके बाद RBI की ओर से महत्वपूर्ण गाइडलाइन जारी की गई है। हाल ही में आरटीआई से एक जानकारी सामने आई थी, जिसके तहत प्रिंटिंग प्रेस से भेजे जाने और रिजर्व बैंक तक पहुंचने के बीच 500 के करीब 176 करोड़ नोट गायब होने की खबर थी।

अब भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से इस पर सफाई जारी की गई है। बैंक ने 500 रुपये के नोट गायब होने की खबरों को गलत बताया है और कहा है कि सभी नोटों का पूरा हिसाब रखा जाता है।


छपाई के बाद नोट रिजर्व बैंक भेजने और उसके मिलान की एक मजबूत व्यवस्था है। साथ ही ये भी कहा है कि आरटीआई से मांगी गई जानकारी में कुछ प्रिंटिंग प्रेस ने सिर्फ नए नोटों की जानकारी दी है, जबकि कुछ ने पुराने नोटों की भी जानकारी भेज दी है।

क्या कहा है रिजर्व बैंक ने?


बैंक ने अपनी सफाई में कहा है- 'भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को कुछ मीडिया में प्रसारित होने वाली खबरों के बारे में पता चला है, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस की तरफ से छापे गए बैंकनोटों के गायब होने का आरोप लगाया गया है।

आरबीआई का कहना है कि ये रिपोर्ट सही नहीं हैं। ये रिपोर्ट सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत प्रिंटिंग प्रेसों से ली गई जानकारी को गलत तरीके से दिखा रही हैं।

यहां ध्यान देना जरूरी है कि प्रिंटिंग प्रेसों से आरबीआई को भेजे जाने वाले सभी बैंक नोटों का लेखा-जोखा ठीक से रखा जाता है।

यह भी सूचित किया जाता है कि प्रेसों में छापे गए और भारतीय रिजर्व बैंक को भेजे गए बैंक नोटों के मिलान के लिए मजबूत व्यवस्थाएं मौजूद हैं।


जिनमें बैंकनोटों की छपाई, उनके रख-रखाव और उसके ड्रिस्ट्रिब्यूशन की निगरानी के लिए प्रोटोकॉल शामिल हैं। ऐसे में जनता के सदस्यों से अनुरोध है कि वह ऐसे मामलों में समय-समय पर आरबीआई की तरफ से प्रकाशित की जाने वाली सूचनाओं पर ही भरोसा करें।'

रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है आरटीआई के जरिए बैंकनोटों की छपाई को लेकर जो जानकारी मांगी गई है, वह अलग-अलग प्रेस से ली गई है।

ऐसे में कुछ प्रिंटिंग प्रेस ने सिर्फ नई सीरीज के नोटों की जानकारी दी है, जबकि कुछ ने नई और पुरानी दोनों सीरीज की एक साथ जानकारी दी है।

आरटीआई लगाने वाले शख्स ने पूरे आंकड़ों को नई सीरीज के नोट समझ लिया है। इसके बाद प्रिंटिंग प्रेस से मिली जानकारी की तुलना भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से पब्लिश किए गए आंकड़ों से की गई, जो सिर्फ नई सीरीज के नोट थे।

इसलिए उनका कैलकुलेशन गलत है, सवाल गलत हैं और जो धारणाएं बनाई जा रही हैं वह भी गलत हैं।

88 हजार करोड़ रुपये के नोट गायब होने की थी खबर

एक सामाजिक कार्यकर्ता मनोरंजन रॉय को आरटीआई से पता चला था कि तमाम प्रिंटिंग प्रेस ने 500 रुपये के करीब 8810।65 मिलियन नोट छापे थे, लेकिन रिजर्व बैंक तक सिर्फ 7260 मिलियन नोट ही पहुंचे।

लगभग 1550 मलियिन 500 रुपये के नोट रिजर्व बैंक तक नहीं पहुंचे। वहीं अप्रैल 2015- मार्च 2016 के बीच करंसी नोट प्रेस, नासिक की तरफ से 210 मिलियन 500 रुपये के नोट छापे गए, जो रिजर्व बैंक के पास नहीं पहुंचे।

इसके बाद सवाल उठने लगे थे कि क्या ये सारे लगभग 1760 मिलियन यानी करीब 176 करोड़ 500 रुपये के नोट रास्ते से ही गायब हो गए? अगर इन नोटों की वैल्यू निकाली जाए तो वह लगभग 88 हजार करोड़ रुपये निकलती है।

जब से बैंक नोट गायब होने की खबर सामने आई थी, तब से लगातार सरकार पर सवाल उठ रहे थे। विपक्ष के तमाम नेताओं ने भी मोदी सरकार पर सवाल उठाने शुरू कर दिए थे।

आरटीआई से मिली जानकारी सोशल मीडिया पर भी तेजी से फैलने लगी और सवाल उठने शुरू हो गए। ऐसे में खुद भारतीय रिजर्व बैंक को सामने आना पड़ा और आरटीआई से मिली जानकारी पर अपनी सफाई देनी पड़ी।