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Property Will : पैतृक संपत्ति पर कितना होता है बेटा और बेटी का अधिकार, कोर्ट ने सुनाया फैसला

Right Over Father's Land : हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार बता दें कि पिता की संपत्ति पर बेटा बेटी के अधिकार को लेकर नए नियम बनाए गए हैं। बता दें कि हमारे संविधान में पिता की संपत्ति पर बेटा बेटी के अधिकार को लेकर नए नियम बनाए गए हैं। परंतु कुछ लोगों को इन नियमों की विस्तार से जानकारी नहीं होती। आज हम आपको इस खबर में बताएंगे कि पैतृक संपत्ति पर बेटी बेटा का कितना अधिकार होता है। आईए जानते हैं पूरी जानकारी नीचे खबर में...
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Property Will : पैतृक संपत्ति पर कितना होता है बेटा और बेटी का अधिकार, कोर्ट ने सुनाया फैसला

HARYANA NEWS HUB, NEW DELHI : अक्सर लोगों में पिता की जमीन पर अधिकार को लेकर जानकारी का अभाव होता है. जमीन पर अधिकार को लेकर परिवारों में आपसी रंजिश (mutual rivalry)  के चलते कई बार रिश्ते इस कदर खराब हो जाते हैं कि लोग एक-दूसरे के साथ संबंधों को खत्म कर लेते हैं.


अनगिनत घटनाएं (countless incidents) तो ऐसी हैं जिसमें अपने ही लोगों की जान भी ले लेते हैं. ऐसे विवाद जानकारी के अभाव और उन तमाम उलझनों की वजह से भी पैदा होते हैं जिनको लेकर स्पष्टता नहीं होती.

अपनी इस स्टोरी में हम पिता की संपत्ति पर अधिकार से जुड़ी बातों को आसान भाषा में समझायेंगे-


भारत में अगर जमीन के सामान्य वर्गीकरण को देखें तो मुख्यत: किसी भी व्यक्ति के द्वारा दो प्रकार से जमीन अर्जित की जाती है. पहली वह जो व्यक्ति ने खुद से खरीदी है या उपहार,दान या किसी के द्वारा हक त्याग (अपने हिस्से की जमीन को ना लेना) आदि से प्राप्त की है.


इस तरह की संपत्ति को स्वयं अर्जित की हुई संपत्ति कहा जाता है. इसके अलावा दूसरे प्रकार की वह जमीन होती है जो कि पिता ने अपने पूर्वजों से प्राप्त की है. इस प्रकार से अर्जित की गई जमीन को पैतृक संपत्ति (ancestral property) की श्रेणी में रखते हैं.

खुद अर्जित की गई जमीन पर अधिकार और उत्तराधिकार के क्या नियम हैं?


जहां तक पिता की खुद की अर्जित की गई जमीन का सवाल है तो, ऐसे में वह अपनी जमीन को बेचने, दान देने, उसके अंतरण संबंधी किसी भी तरह का फैसला लेने के लिए स्वतंत्र हैं. इसका उल्लेख भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, संपत्ति अंतरण अधिनियम में मिलता है.

पिता द्वारा स्वयं अर्जित की गई जमीन से संबंधित उनके फैसले को कोई भी ना तो प्रभावित कर सकता है और ना ही कोई अन्य फैसला लेने के लिए बाध्य कर सकता है.


ऐसे में अगर इस जमीन पर अधिकार के कानूनी पक्ष को देखें तो हम पाते हैं कि पता द्वारा खुद से अर्जित की गई जमीन पर किसी भी निर्णय को लेकर सिर्फ उनका ही अधिकार होता है.

अगर वो अपनी स्वअर्जित जमीन की वसीयत तैयार करते हैं और जिस किसी को भी उसका मालिकाना हक देना चाहते हैं तो इस जमीन पर उसी का अधिकार होगा.

संबंधित व्यक्ति के बच्चे अगर इस मुद्दे को लेकर न्यायालय का रुख करते हैं तो वसीयत पूरी तरह से वैध होने की स्थिति में यह संभावना है कि इस मामले में कोर्ट पिता के पक्ष में ही फैसला सुनाएगा.

ऐसे में यह स्पष्ट है कि पिता की खुद से अर्जित की गई संपत्ति अंतरण से संबंधित अधिकार पिता के पास ही सुरक्षित हैं.

लेकिन इसका एक महत्वपूर्ण पक्ष यह कि अगर पिता द्वारा खुद से अर्जित की गई जमीन संबंधी कोई फैसला लेने से पहले ही उनका देहांत हो जाता है,तब बेटे और बेटियों को इस जमीन पर कानूनी अधिकार मिल जाता है.

संपत्ति को लेकर हिंदू और मुसलमानों के क्या हैं नियम-

यहां यह बताना जरूरी है कि भारत में संपत्ति पर अधिकार को लेकर हिंदू और मुसलमानों के अलग-अलग नियम हैं. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 में बेटे और बेटी दोनों का पिता की संपत्ति पर बराबर अधिकार माना जाता है.

वो अलग बात है कि भारतीय सामाजिक परंपराओं के चलते अनगिनत बेटियां पिता की संपत्ति पर अपना दावा नहीं करतीं लेकिन हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 उन्हें बेटों के बराबर अधिकार देता है.

मुस्लिम पर्सनल लॉ (muslim personal law) में इस तरह की संपत्ति पर अधिकार में बेटों को ज्यादा महत्व दिया गया है. लेकिन न्यायालयों की प्रगतिशील सोच और बराबरी के अधिकार के चलते उन्हें भी धीरे-धीरे हिंदू बेटियों की तरह ही अधिकार दिए जाने पर जोर दिया जा रहा है.

गौर करने वाली एक बात यह है कि पिता द्वारा अर्जित संपत्ति की वसीयत में अगर पिता अपनी बेटियों को हक नहीं देता तो ऐसे में न्यायालय भी बेटी के पक्ष में फैसला नहीं सुनाएगी. लेकिन पैतृक संपत्ति (ancestral property) के मामले में स्थिति अलग है.

पैतृक संपत्ति को लेकर क्या हैं नियम?

पिता पैतृक संपत्ति से संबंधित वसीयत (Will related to father's ancestral property) नहीं बना सकता है. ऐसे में इस संपत्ति पर बेटे और बेटियों का हक होता है. पैतृक संपत्ति को लेकर पिता फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है. पैतृक संपत्ति पर बेटे और बेटी दोनों को बराबर अधिकार प्राप्त हैं.

 

पहले बेटी को इस संपत्ति में बराबर अधिकार प्राप्त नहीं थे,लेकिन 2005 में उत्तराधिकार अधिनियम में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए और बेटियों को बेटों के बराबर अधिकार पैतृक संपत्ति में प्राप्त हुए.