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Income Tax : क्या आपकी भी है 12 लाख़ रुपये सैलरी, तो नही देना पड़ेगा एक भी रुपये टैक्स

 Tax Saving Tips : बता दें कि हर व्यक्ति को हर चीज पर किसी भी तरह का इनकम टैक्स भरना पड़ता है अगर आप भी एक टैक्सपयेर्स (taxpayers) है तो ये खबर आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होने वाली है बता दें कि आप किसी भी तरह के पैसों का तालमेल या लेन-देन सही तरीकों से अपनाते है तो आपकी सैलरी (salary) पर एक रूपये का भी टैक्स नही लगेगा और बिना टैक्स आपकी सैलरी आपको मिलेगी अगर आपकी सैलरी पर टैक्‍स बनता है तो कंपनी इसे काट लेती है इनकम टैक्‍स की लास्ट कैलकुलेशन (calculation) आईटीआर फाइल (itr file) करने के बाद आयकर विभाग (income tax) ही करता है. इनकम टैक्‍स विभाग या तो आपकी फाइनेंसियल ईयर (financial year) की कमाई से टैक्स काट लेता है या आपको टैक्स रिफंड (tax refund) भेज देता है आइए जानते है खबर में पूरी जानकारी...

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Income Tax : क्या आपकी भी है 12 लाख़ रुपये सैलरी, तो नही देना पड़ेगा एक भी रुपये टैक्स

HR NEWS HUB (ब्यूरो) : दोस्तों यदि आप भी एक टैक्सपेयर है तो ये खबर आपके लिए बेहद ख़ास है अगर आपने ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम सैल्क्ट (Old tax regime selected) की है तो आपका यह सवाल जरूर होगा.आयकर अधिनियम (income tax act) की धारा 87A के तहत 12,500 रुपये की टैक्‍स छूट मिलती है ओल्‍ड टैक्‍स रिजीम के तहत निवेश के तमाम आप्शन (option) हैं.

अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपये भी है तो भी आपको 1 रुपये टैक्‍स देने की जरूरत नहीं है  इनकम टैक्स के नियमों के मुताबिक, अगर टैक्स डिडक्शन (Tax Deductions) और टैक्स एग्जम्प्शंस (Tax Exemptions) को ठीक से इस्तेमाल करें तो टैक्स बचाया जा सकता है हालांकि, इसके लिए आपको अपना सैलरी स्ट्रक्चर (structure) भी ऐसा रखना होगा, जिसमें टैक्स का दायरा ज्यादा ना हो. इसके अलावा रीइम्बर्समेंट (Reimbursement) का ज्यादा फायदा उठा सके आइए जानते है खबर में पूरी जानकारी विस्तार से....

जीरो टैक्स के लिए क्या करना होगा?

अब मामला ये है कि सैलरी पर कोई टैक्स न लगे इसके लिए इन्वेस्टमेंट और सेविंग्स का तालमेल ठीक रखना होगा. अगर आपकी सैलरी 12 लाख रुपए है और आप रिइम्बर्समेंट और इन्वेस्टमेंट टूल्स (investment tools) का भरपूर फायदा लेते हैं तो निश्चित तौर पर सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. पूरी सैलरी बिना टैक्स के ही हासिल हो जाएगी. 


सैलरी स्ट्रक्चर में क्या-क्या रखें?

सैलरी स्ट्रक्चर को बदलने का ऑप्शन आपके हाथ में रहता है. आप इसकी रिक्वेस्ट (request) कंपनी HR से भी कर सकते हैं. रीइम्बर्समेंट की एक लिमिट होती है. लेकिन, इसमें मल्टीपल टूल (multiple tool) हो सकते हैं. 

रीइम्बर्समेंट में कन्वेंस, LTA, एंटरटेनमेंट, ब्रॉडबैंड बिल, पेट्रोल बिल्स और एंटरटेनमेंट या फूड-कूपंस (Reimbursement includes conveyance, LTA, entertainment, broadband bills, petrol bills and entertainment or food-coupons.) भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. इन सबकी मदद से टैक्स बचाया जा सकता है. इसके अलावा टैक्स बचाने के लिए HRA का भी ऑप्शन होता है.

HRA में ऐसे मिलता है फायदा :

HRA क्लेम करने में 3 आंकड़ों को शामिल किया जाता है. इन तीनों में जो सबसे कम होगा, उस पर टैक्स छूट मिलेगी. सैलरी स्ट्रक्चर में कंपनी की तरफ से मिलने वाला HRA मेट्रो और नॉन मेट्रो शहरों के हिसाब से होता है. 

मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी (basic salary) का 50% और नॉन मेट्रो शहर में बेसिक सैलरी का 40% तक HRA क्लेम करने की छूट होती है. कुल रेंट में से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी घटाने पर जो राशि बचती है, उतना HRA क्लेम किया जा सकता है. 


कैसे तय होगा आपका HRA?

मेट्रो शहर में किराया 20 हजार रुपए है. मतलब आपकी कुल मंथली सैलरी का 20 फीसदी. बेसिक सैलरी CTC की 50 फीसदी होगी. ऐसे में आपकी बेसिक हुई 6 लाख रुपए है. कंपनी की तरफ से बेसिक सैलरी का करीब 40 फीसदी HRA मिला तो करीब 2.40 लाख रुपए सालाना HRA मिलेगा. 


लेकिन, मेट्रो शहर में रहने की वजह से आप 50 फीसदी यानी 3 लाख रुपए तक HRA ले सकते हैं. 20 हजार रुपए के हिसाब से सालाना किराया 2.40 लाख रुपए हुआ. 

इसमें से बेसिक सैलरी का 10 फीसदी यानी 60 हजार रुपए घटाने के बाद कुल HRA 1.80 लाख रुपए हुआ. अब ऊपर दिए गए तीनों आंकड़ों में 1.80 लाख रुपए सबसे कम है. इस स्थिति में आप 1.80 लाख रुपए सालाना क्लेम कर सकते हैं.


LTA- लीव ट्रैवल अलाउंस :

LTA का फायदा 4 साल में दो बार लिया जा सकता है. इसमें ट्रैवल प्लान का किराया शामिल होता है. ये आपकी बेसिक सैलरी का 10 फीसदी होता है. 6 लाख रुपए की बेसिक सैलरी पर 60 हजार रुपए LTA मिलेगा. सालाना एवरेज देखें तो 30 हजार रुपए पर टैक्स छूट ली जा सकती है. 

रीइम्बर्समेंट का कैसे मिलेगा फायदा?

1. कन्वेंस अलाउंस (Conveyance Allowance) : 12 लाख के सैलरी ब्रैकेट वालों को आमतौर पर 1-1.50 लाख रुपए का रीइम्बर्समेंट मिलता है. मतलब 1.50 लाख रुपए का कन्वेंस अलाउंस पूरी तरह से नॉन-टैक्सेबल होगा.

2. ब्रॉडबैंड बिल (brandband bill) : ब्रॉडबैंड बिल पर भी टैक्स छूट मिल सकती है. इसे रीइम्बर्समेंट में शामिल कराएं. इसके लिए हर महीने 700-1000 रुपए में बतौर अलाउंस मिलते हैं. मान लेते हैं कि इसके तहत आपको हर महीने 1000 रुपए मिलते हैं यानी सालाना 12000 रुपए नॉन-टैक्सेबल सैलरी होगी.

3. एंटरटेनमेंट अलाउंस (entertainment allowance) : एंटरटेनमेंट रीइम्बर्समेंट में खाने-पीने का बिल दिखाकर इसे क्लेम कर सकते हैं. 12 लाख तक की सैलरी वालों को हर महीने 2000 रुपए यानी 24 हजार रुपए तक नॉन टैक्सेबल होंगे.

4. यूनीफॉर्म, बुक्स या पेट्रोल बिल्स (uniform,books , petrol bills) : अलग-अलग कंपनियां यूनीफॉर्म, पेट्रोल या फिर बुक्स बिल के नाम पर रीइम्बर्समेंट देती हैं. इस कैटेगरी में भी 1000-2000 रुपए तक ले सकते हैं. हर महीने 1000 रुपए रीइम्बर्समेंट के तौर पर लेने से सालाना 12 हजार रुपए नॉन टैक्सेबल कैटेगरी में आ जाएंगे.

इनकम टैक्स डिडक्शन तो मिलेंगे ही :
इनकम टैक्स एक्ट में कुछ डिडक्शन मिलते हैं, जो टैक्सेबल सैलरी को कम करने में मदद करते हैं.

1- बेसिक इनकम छूट (basic income saving) : 2.5 लाख रुपए तक की सैलरी को इनकम टैक्स के नियमों में नॉन-टैक्सेबल रखा गया है. मतलब आपकी कुल सैलरी में से 2.5 लाख रुपए तक कोई छूट टैक्स नहीं लगेगा. लेकिन, इसे आखिर में कैलकुलेट किया जाता है.

2. स्टैंडर्ड डिडक्शन (standard dedection) : सबसे पहले 50 हजार रुपए का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा. मतलब आपकी जितनी भी सैलरी हो, उसमें से 50 हजार रुपए कम कर दीजिए.

3- सेक्शन 80C (section) : इसमें 1.50 लाख रुपए तक के निवेश पर टैक्स छूट पा हासिल कर सकते हैं. इसमें EPF, PPF, सुकन्या समृद्धि योजना, NPS, बच्चे की ट्यूशन फीस, LIC, होम लोन प्रिंसिपल जैसे टूल्स आते हैं. इसकी पूरी लिमिट का इस्तेमाल करके 1.50 लाख रुपए का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं.

3- सेक्शन 80CCD(1B): इसमें NPS में अतिरिक्त 50 हजार रुपए के निवेश का फायदा मिलता है.

4- सेक्शन 80D: इसमें खुद के लिए हेल्थ इंश्योरेंस लेकर 25 हजार रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं. इसके अलावा पैरेंट्स के हेल्थ इंश्योरेंस पर भी 25 हजार रुपए तक टैक्स छूट ले सकते हैं. इसमें कुल डिडक्शन 50 हजार रुपए तक हो सकता है.

अगर पैरेंट्स 65 की उम्र से ज्यादा के हैं तो सीनियर सिटीजन डिडक्शन की लिमिट 50 हजार रुपए होगी. ऐसे में 75 हजार रुपए तक टैक्स बचा सकते हैं. फिलहाल 80D में कुल 50 हजार रुपए पर टैक्स बचा पाएंगे.

अब टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल की पूरी कैलकुलेशन समझें;

पहला HRA- इसमें 1.80 लाख रुपए तक टैक्स छूट मिलेगी;

दूसरा रीइम्बर्समेंट- सारे रीइम्बर्समेंट को जोड़कर देखें तो कुल 1.98 लाख रुपए का रीइम्बर्समेंट मिलेगा;

तीसरा डिडक्शन- कुल 3 लाख रुपए का डिडक्शन मिलेगा; 

चौथा लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)- 30 हजार रुपए की टैक्स छूट मिलेगी. आपकी कुल सैलरी से 7.08 लाख रुपए पर टैक्स नहीं लगेगा.