World's Most Polluted City : प्रदूषण के मामले में दिल्ली एक बार फिर से टॉप पर पहुंची, जानिए बिहार का कौन-सा जिला है चर्चा में
World's Most Polluted City : जानकारी के मुताबिक़ बता दें कि प्रदूषण के मामले एक बार फिर से दिल्ली टॉप पर पहुंच गया है दिल्ली एक बार फिर से दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बन चुकी है पुरे देश और खासकर दिल्ली निवासियों के लिए बेहद ही बुरी खबर सामने आई है स्विस संगठन IQAir (Swiss organization IQAir) द्वारा विश्व वायु गुणवत्ता (world air quality) रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत 2023 में बांग्लादेश (bangladesh) और पाकिस्तान (pakistan) के बाद 134 देशों में से तीसरी सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाला देश था। 2022 में भारत को आठवें सबसे प्रदूषित देश के रूप में स्थान मिला था आइए जानते है पूरी जानकारी न्यूज़ में....
HR NEWS HUB (ब्यूरो) : बता दें कि हाल ही में मिली रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली 2018 से चौथी बार प्रदूषित राजधानी (polluted capital) बन चुकी है वहीं, बिहार का बेगुसराय (Begusarai of Bihar) दुनिया के सबसे प्रदूषित महानगरीय (polluted metropolis) क्षेत्र के रूप में उभरा है प्रदूषण के मामले में दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) की इन दिनों पूरे देश में चर्चा है.
पिछले कुछ समय से दिल्ली-एनसीआर के तमाम इलाकों का एक्यूआई 500 के करीब रहा है जो कि प्रदूषण का गंभीर स्तर माना जाता है. लेकिन बिहार का बेगुसराय ने इस मामले में दिल्ली को भी काफी पीछे छोड़ दिया है आइए जानते है इससे जुड़ी और अधिक जानकारी नीचे दिए गए आर्टिकल में....
स्विस संगठन IQAir द्वारा विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारत 2023 में बांग्लादेश और पाकिस्तान के बाद 134 देशों में से तीसरी सबसे खराब वायु गुणवत्ता (Third worst air quality) वाला देश था। 2022 में, भारत को आठवें सबसे प्रदूषित देश के रूप में स्थान मिला था। इसके अलावा वैश्विक स्तर पर सबसे प्रदूषित महानगरीय क्षेत्र के रूप में बेगुसराय का नाम सामने आया है। 2022 की रैंकिंग (ranking) में भी शहर का नाम नहीं आया था।
दिल्ली को 2018 से लगातार चार बार दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का मिला दर्जा-
दिल्ली को 2018 से लगातार चार बार दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी का दर्जा दिया गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुमान है कि भारत में 1.36 अरब लोग पीएम2.5 सांद्रता (PM2.5 concentrations) का अनुभव करते हैं जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (world health Organization) द्वारा अनुशंसित वार्षिक दिशानिर्देश स्तर 5 माइक्रोग्राम (Recommended annual guideline level 5 micrograms) प्रति घन मीटर से अधिक है।
साथ ही, 1.33 अरब लोग, यानी भारतीय आबादी का 96 प्रतिशत, पीएम2.5 के स्तर को डब्ल्यूएचओ के वार्षिक पीएम2.5 दिशानिर्देश से सात गुना अधिक अनुभव करते हैं। देश के 66 प्रतिशत से अधिक शहरों में वार्षिक औसत 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक है।
कैसे निकाला डेटा?
IQAir ने कहा कि इस रिपोर्ट को बनाने के लिए उपयोग किया गया डेटा 30,000 से अधिक नियामक वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों और अनुसंधान संस्थानों, सरकारी निकायों, विश्वविद्यालयों और शैक्षिक सुविधाओं, गैर-लाभकारी गैर-सरकारी (Research institutes, government bodies, universities and educational facilities, non-profit non-governmental)द्वारा संचालित कम लागत वाले वायु गुणवत्ता सेंसर के वैश्विक वितरण से एकत्र किया गया था।
2022 के बाद 2023 का हाल बेहाल-
2022 विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट में 131 देशों, क्षेत्रों और क्षेत्रों के 7,323 स्थानों का डेटा शामिल था। 2023 में, ये संख्या बढ़कर 134 देशों, क्षेत्रों और क्षेत्रों में 7,812 स्थानों तक पहुंच गई। दुनिया भर में हर नौ मौतों में से एक का अनुमान है, वायु प्रदूषण मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा पर्यावरणीय खतरा है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, वायु प्रदूषण हर साल दुनिया भर में अनुमानित सात मिलियन असामयिक मौतों के लिए जिम्मेदार है।
गभीर बीमारियों का हो सकते है शिकार-
PM2.5 वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से कई स्वास्थ्य स्थितियां पैदा होती हैं, जिनमें अस्थमा, कैंसर, स्ट्रोक और फेफड़ों (asthma, cancer, stroke and lungs) की बीमारी शामिल है, लेकिन यह इन्हीं तक सीमित नहीं है इसके अलावा मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और मधुमेह सहित मौजूदा बीमारियाँ जटिल हो सकती हैं।