Supreme Court Notice : जानें सुप्रीम कोर्ट का नया नोटिस, लोन नही भरने पर होगी कार्यवाही
Supreme Court Decision : बता दें कि भारत देश में लगभग लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन उठाते है बैंक लोन लेने वालों पर विस्वास के बदले में उनकी प्रॉपर्टी रखते है लेकिन बहुत से लोगों की आर्थिक स्थिती सही न होने के कारण बैंक के लोन की क़िस्त सही तरीके से नही पहुंचा पाते और बैंक उनको froud समझने या घोषित कर देते है इसी जानकारी के अनुसार हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने लोन न भरने वालो को तगड़ा झटका देते हुए उनकी सम्पति की नीलामी का बेहद अहम फैसला लिया है तो आइए जानते है पूरी जानकारी न्यूज़ में विस्तार से-
HARYANA NEWS HUB : सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को लेकर अहम भूमिका निभाते हुए कहा है कि कोई भी व्यक्ति बैंक से लोन लेता है और वो उसको सही समय पर नही चुकाता है तो बैंक के पास जो उनकी प्रॉपर्टी है वो उनकी नीलामी कर सकते है और गिरवी सम्पति को नीलामी करने से अगर कोई रोकता है तो उस पर भी कार्यवाही की जायेगी आइए और अधिक जानकारी के बारे में
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि कोई कर्जदार गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की वसूली नियंत्रित करने वाले कानून के तहत नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले वित्तीय संस्थानों का बकाया चुकाने में विफल रहता है, तो वह अपनी गिरवी संपत्ति को छुड़ाने का अनुरोध नहीं कर सकता है.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नीलामी प्रक्रिया की शुचिता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह अदालतों का कर्तव्य है कि वे पूर्व में हुई नीलामी की शुचिता का संरक्षण करें.
अदालतों को नीलामी में हस्तक्षेप करने से गुरेज करना चाहिए, अन्यथा यह नीलामी के मूल उद्देश्य को विफल कर देगा और इसमें जनता के भरोसे एवं भागीदारी को बाधित करेगा.
शीर्ष अदालत वित्तीय परिसंपत्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्संरचना और सुरक्षा हित प्रवर्तन अधिनियम, 2002 (सरफेसी अधिनियम) के एक प्रावधान से निपट रही थी.
जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का लिखा फैसला-
अधिनियम की धारा 13(8) में प्रावधान है कि कोई भी कर्जदार सार्वजनिक नीलामी के लिए नोटिस के प्रकाशन की तारीख से पहले या गिरवी संपत्तियों की पट्टे या बिक्री के माध्यम से हस्तांतरण के लिए निविदा आमंत्रित करने से पहले संपूर्ण देय राशि का भुगतान करके वित्तीय संस्थानों से अपनी गिरवी संपत्ति किसी भी समय वापस मांग सकता है. पीठ की ओर से जस्टिस पारदीवाला ने 111 पन्नों का फैसला लिखा.
उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा-
उन्होंने इसमें कहा है, ‘हमारा मानना है कि सरफेसी अधिनियम की संशोधित धारा 13(8) के अनुसार, एक बार जब कर्जदार नीलामी नोटिस के प्रकाशन से पहले ऋणदाता को प्रभार और शुल्क के साथ बकाया राशि की पूरी राशि देने में विफल रहता है.
तो 2002 के नियमों के नियम-आठ के अनुसार समाचार पत्र में नीलामी नोटिस के प्रकाशन की तिथि पर उसका अपनी गिरवी संपत्ति छुड़ाने का अधिकार समाप्त हो जाएगा.’
यह फैसला बम्बई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली सेलिर एलएलपी की अपील पर आया. उच्च न्यायालय ने एक अन्य कंपनी बाफना मोटर्स (मुंबई) प्राइवेट लिमिटेड को बैंक को बकाया भुगतान पर अपनी गिरवी रखी संपत्ति छुड़ाने की अनुमति दी थी.