किसी दूसरे की पत्नी के साथ संबंध बनाने को लेकर Supreme Court ने सुनाया अहम फैसला
supreme court news : आपको बता दें कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के मामले लगभग हर रोज आते ही रहते है। आपको बता दें कि कि एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर वह होता है जो शादीशुदा तो होते हैं लेकिन एक रिश्ते में रहते हुए अपने पार्टनर के अलावा दूसरों के साथ भी संबंध रखते हैं। जिसके कारण शादीशुदा जिंदगी बर्बाद होने में ज्यादा समय नहीं लगता है। ऐसे में आइए नीचे आर्टिकल में जानते है कोर्ट के इस फैसले के बारे में डिटेल से.
HARYANA NEWS HUB : सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code ) में व्यभिचार के प्रावधान को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार से शुरू कर दी। इस कानून के मुताबिक अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी और शादीशुदा महिला के साथ सहमति से संबंध बनाता है, तो पुरुष के खिलाफ अडल्टरी का केस दर्ज( Adultery case registered ) हो सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ केस नहीं हो सकता। याचिका में इसे भेदभाव कहा गया है और इसे निरस्त करने की मांग की गई है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि एडल्टरी को क्राइम( adultery crime ) ही क्यों माना जाए।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह महिलाओं के लिए भी इसे अपराध बनाने के लिये कानून को नहीं छुएगी। पीठ ने कहा, ‘हम इस बात की जांच करेंगे कि क्या अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 497( Section 497 of the Indian Penal Code ) अपराध की श्रेणी में बनी रहनी चाहिये या नहीं। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन( R F Nariman ), न्यायमूर्ति ए एम( Justice A.M. ) खानविल्कर और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा( Justice Indu Malhotra ) भी शामिल हैं।
Liquor : ये है भारत में पियक्कड़ों की पसंदीदा शराब, पीने वाले कर रहे है बेहद पसंद
आईपीसी ( IPC ) की धारा 497 कहती है, ‘जो भी कोई ऐसी महिला के साथ, जो किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह विश्वास पूर्वक जानता है, बिना उसके पति की सहमति या उपेक्षा के शारीरिक संबंध बनाता है जो कि बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता, वह व्यभिचार के अपराध का दोषी होगा, और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा।
ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी। संक्षिप्त सुनवाई के दौरान न्यायालय ने मामले को सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपने की अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल पिंकी आनंद की मांग खारिज कर दी। पीठ ने कहा कि ये मुद्दे पांच न्यायाधीशों की पीठ ने जिस मुद्दे पर 1954 में विचार किया था, उससे बिल्कुल अलग हैं। ‘पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 1954 में इस मुद्दे पर विचार किया था कि क्या किसी महिला को दुष्प्रेरक माना जा सकता है। मौजूदा याचिका बिल्कुल अलग है।
पीठ ने कहा कि व्यभिचार तलाक का भी आधार है और इसके अतिरिक्त विभिन्न कानूनों में अन्य दीवानी उपचार भी उपलब्ध हैं। पीठ ने कहा, ‘इसलिये, हम इस बात की पड़ताल करेंगे कि क्या व्यभिचार के प्रावधान के अपराध की श्रेणी में बने रहने की जरूरत है।
High Court : पत्नी ने 5 लाख रुपए मांगे पति से महीना खर्च के लिए, फिर हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला
याचिकाकर्ता जोसफ शाइन की तरफ से उपस्थित अधिवक्ता कालीश्वरम राज ने कहा कि वह आईपीसी की धारा 497 और सीआरपीसी की धारा 198 (2) को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं। शाइन एक भारतीय हैं, जो इटली में रह रहे हैं। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा सिर्फ महिला के पति को शिकायत दायर करने की अनुमति देती है।
उन्होंने कहा कि वे इस आधार पर इस प्रावधान को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं कि यह लैंगिक तटस्थ नहीं है और निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करते हैं। पीठ के समक्ष सवाल यह है कि क्या किसी व्यक्ति को इस आधार पर जेल भेजा जा सकता है कि उसका किसी विवाहित महिला के साथ यौन संबंध में था।