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प्रॉपर्टी पर हो चुका है कब्जा, कोर्ट के झंझट में नहीं चाहते पड़ना, अपनाएं Supreme Court का ये तरीका

Supreme Court Decision : क्या आपकी भी जमीन या फिर प्रॉपर्टी पर किसे ने कब्जा कर लिया है। और अब आप बिना कोर्ट( Court ) जाए वो कब्जा छुड़वाना चाहते है तो ये खबर आपके लिए पढ़ना जरूरी है। आज हम आपको कब्जे की जमीन( occupied land ) को बिना कोर्ट जाए कैसे छुड़वा सकते है सुप्रीम कोर्ट( Supreme Court  ) का एक आसान सा तरीका बताएंगा। आइए जानते है नीचे आर्टकिल में.

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प्रॉपर्टी पर हो चुका है कब्जा, कोर्ट के झंझट में नहीं चाहते पड़ना, अपनाएं Supreme Court का ये तरीका

HARYANA NEWS HUB : आज कल जमीन पर कब्जा( possession of land ) करना आम बात हो गई है और हम टीवी और इंटरनेट( News on TV and Internet ) पर ऐसी खबरे सुनते और पढ़ते हैं। जमीन पर कब्जा करने के बाद मालिक को सबसे बड़ी दिक्कत होती है।

उस कब्ज़ा धारी से प्रॉपर्टी को खाली करवाना( vacate the property ), लेकिन इसका एक तरीका है कि कोर्ट में केस होने के बाद न्याय को बहुत समय लग जाता है, ऐसे में देश के सबसे बड़े कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट( Supreme Court )द्वारा एक ऐसा तरीका बताया गया है जिसे आप बिना कोर्ट जाए भी कब्जा करने वाले से अपनी प्रॉपर्टी वापिस ले सकते हैं।

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पूनाराम बनाम मोती राम के मामले में फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत (Supreme court decision) ने कहा कि कोई व्यक्ति दूसरे की संपत्ति पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा नहीं कर सकता है. अगर कोई किसी दूसरे की प्रॉपर्टी में ऐसे कब्जा कर लेता है, तो पीड़ित पक्ष बलपूर्वक खुद ही कब्जा खाली करा सकता है. हालांकि इसके लिए जरूरी है कि आप उस प्रॉपर्टी के मालिक हों और वह आपके नाम हो यानी उस प्रॉपर्टी का टाइटल आपके पास हो( How to get possession released without court ).

पूना राम बनाम मोती राम मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court news) ने कहा कि अगर आपके पास प्रॉपर्टी का टाइटल है, तो आप 12 साल बाद भी बलपूर्वक अपनी प्रॉपर्टी से कब्जा खाली करा सकते हैं. इसके लिए कोर्ट में मुकदमा दायर करने की जरूरत नहीं है.

हां अगर प्रॉपर्टी का टाइटल आपके पास नहीं और कब्जा को 12 साल हो चुके हैं, तो आपको कोर्ट में केस करना होगा. ऐसे मामलों की कानूनी कार्यवाही के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट 1963 (Specific Relief Act 1963) बनाया गया है.

प्रॉपर्टी से गैर कानूनी कब्जा खाली कराने के लिए स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट की धारा 5 के तहत प्रावधान किया गया है. हालांकि प्रॉपर्टी के विवाद में सबसे पहले स्टे ले लेना चाहिए, ताकि कब्जा करने वाला व्यक्ति उस प्रॉपर्टी पर निर्माण न करा सके और न ही उसको बेच सके.

स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट (Supreme court decision) की धारा 5 के मुताबिक अगर कोई प्रॉपर्टी आपके नाम है यानी उस प्रॉपर्टी का टाइटल आपके पास है और किसी ने उस प्रॉपर्टी पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा कर लिया है, तो उसे खाली कराने के लिए सिविल प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) के तहत मुकदमा दायर करना होता है.

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क्या था पूना राम बनाम मोती राम का मामला :

पूना राम राजस्थान के बाड़मेर का रहने वाला है. उसने साल 1966 में एक जागीरदार से जमीन खरीदी थी, जो एक जगह नहीं थी, बल्कि अलग-अलग कई जगह थी. जब उस जमीन पर मालिकाना हक की बात आई, तो यह सामने आया कि उस जमीन पर मोती राम नाम के एक शख्स का कब्जा है.

हालांकि मोती राम के पास जमीन के कोई कानूनी दस्तावेज नहीं थे. इसके बाद पूना राम ने जमीन पर कब्जा पाने के लिए कोर्ट में केस किया. मामले में ट्रायल कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया और मोती राम को कब्जा खाली करने का आदेश दिया.

इसके बाद मोती राम ने मामले की अपील राजस्थान हाईकोर्ट (high court decision) में की. इस मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया और मोती राम के कब्जे को बहाल कर दिया. इसके बाद पूना राम ने राजस्थान हाईकोर्ट (high court news) के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court latest news) में अपील की, जिस पर कोर्ट ने पूना राम के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि जमीन का टाइटल रखने वाला व्यक्ति जमीन से कब्जे को बलपूर्वक खाली करा सकता है.

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इस मामले में मोती राम ने दलील दी कि उस जमीन पर उसका 12 साल से ज्यादा समय से कब्जा है. लिमिटेशन एक्ट की धारा 64 कहती है कि अगर जमीन पर किसी का 12 साल से ज्यादा समय से कब्जा है, तो उसको खाली नहीं कराया जा सकता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट (Supreme court decision news) ने मोती राम की इस दलील को खारिज कर दी.

शीर्ष कोर्ट  (Supreme court decision) ने कहा कि यह कानून उन मामलों में लागू होता है, जिन जमीनों का मालिक कोई नहीं है, लेकिन जिस जमीन का कोई मालिक है और उसके पास उस जमीन का टाइटल है, तो उसको 12 साल बाद भी बलपूर्वक खाली कराया जा सकता है.