One Nation One Election : जानिए लोकसभा और विधानसभा के एक साथ होंगे चुनाव, सरकार गिरी तो बचे कार्यकाल के लिए होगा चुनाव, कोविंद समिति ने राष्ट्रपति को सौंपी रिपोर्ट
One Nation One Poll : मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि देश भर में लोकसभा राज्य (Loksabha state) और विधानसभा (Assembly) के चुनाव एक साथ करने की रिपोर्ट राष्ट्रपति (President) को सौंप दी है समिति का गठन पिछले साल सितंबर में किया गया था और इसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Chairman Former President Ramnath Kovind) हैं. कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए राष्ट्रपति से संविधान के अंतिम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है आइए जानते है पूरी जानकारी न्यूज़ में विस्तार से-
HR NEWS HUB (ब्यूरो) : वन नेशन-वन इलेक्शन (One Nation One Election) यानी एक देश-एक चुनाव को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. 18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट में समिति ने देश में एकसाथ लोकसभा, विधानसभा चुनावों के लिए संविधान में संशोधन (Amendment) की सिफारिश की है. कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति ने देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए राष्ट्रपति से संविधान के अंतिम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है आइए जानते है खबर में...
इनमें संसद (Parliament) के सदनों (Houses) की अवधि से संबंधित अनुच्छेद 83, लोक सभा के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 85, राज्य विधानमंडलों (state assembly) की अवधि से संबंधित अनुच्छेद (Related Article) 172, राज्य विधानमंडलों के विघटन से संबंधित अनुच्छेद 174, और राज्यों में राष्ट्रपति शासन (president state ) लगाने अनुच्छेद 356 शामिल है. समिति की यह रिपोर्ट 191 दिनों के शोध कार्य का परिणाम है. इसमें कहा गया है कि पहले चरण (first step) में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, इसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं.
समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव को एक साथ कराने को लेकर ज्यादातर राजनीतिक दल सहमत हैं. समिति ने एक राष्ट्र-एक चुनाव के लिए सरकार गिरने की स्थितियों पर एकसाथ चुनाव कराने की व्यवस्था कायम रखने की अहम सिफारिशें (recommendations) की है. समिति की रिपोर्ट में एक मतदाता सूची रखने की सिफारिश, लोकसभा, विधानसभा (Lok Sabha,Assembly) और स्थानीय निकाय चुनाव के लिए एक मतदाता सूची रखने की सिफारिश शामिल है यानी लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एक सिंगल वोटर लिस्ट (single voter list) बनाई जाए. बताया जा रहा है जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करने की भी सिफारिश की गई है.
बताया गया है कि समिति का मानना है कि उसकी सभी सिफारिशें सार्वजनिक डोमेन में होनी चाहिए, लेकिन इसको लेकर फैसला सरकार ही करे. रिपोर्ट एक साथ चुनाव कराने के लिए जरूरी वित्तीय और प्रशासनिक संसाधनों का भी ब्योरा दिया जाएगा. इसको लेकर समिति ने अपनी वेबसाइट के जरिए से दिए गए फीडबैक और पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों सहित तमाम हितधारकों से फीडबैक पर विचार किया है.
राष्ट्रपति को सौंपी गई रिपोर्ट-
एक बयान में कहा गया कि पैनल ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। यह रिपोर्ट 2 सितंबर 2023 को इसके गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और 191 दिनों के शोध कार्य का परिणाम है।
पैनल ने की ये सिफारिश-
कोविंद पैनल ने सिफारिश की है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं।
कोविंद पैनल की मुख्य बातें-
कोविन्द पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एक साथ मतदान होने से भारत की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिल सकती है।
एक साथ मतदान से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा, लोकतांत्रिक नींव गहरी होगी।
कोविंद पैनल का कहना है कि एक साथ मतदान से पारदर्शिता, समावेशिता, सहजता (Transparency, Inclusivity, Ease) और मतदाताओं का विश्वास काफी बढ़ेगा।
कोविंद पैनल ने एक साथ चुनाव कराने के लिए उपकरणों, जनशक्ति और सुरक्षा बलों की अग्रिम योजना की सिफारिश की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले एक साथ चुनावों के लिए सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनावों तक की अवधि के लिए हो सकता है।
कोविंद पैनल ने यह भी कहा कि त्रिशंकु सदन या अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में शेष पांच साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं।