पत्नी के अलग रहने पर गुजारा भत्ता देना होता है या नहीं? जानें High Court का फैसला
High Court News : पत्नी का रिश्ता एक सच्चा और पवित्र रिश्ता है। पत्नी के रिश्ते में प्यार के साथ लड़ाई झगड़े भी होते है। लेकिन कई बार ये लड़ाई झगड़े इतने बढ़ जाते है कि पत्नी पति एक दुसरे से अलग रहने लगते है तो ऐसे में क्या पति को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देना होता है या फिर नहीं? इस मामले को लेकर हाल ही में हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया है। आइए नीचे आर्टिकल में जानते है इस फैसले के बारे में डिटेल से.
HARYANA NEWS HUB : बॉम्बे हाईकोर्ट( Bombay high court ) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ किया है कि पत्नी का लंबी अवधि तक पति से अलग रहना, उसे गुजारा भत्ता( alimony ) ( मेंटेनेंस ) न देने का आधार नहीं हो सकता है।
जस्टिस राजेश पाटील( Justice Rajesh Patil ) ने पत्नी की अपील को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया है। मैजिस्ट्रेट कोर्ट ने 2010 में पत्नी को मेंटेंस के रूप में 2300 रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था। पति ने मैजिस्ट्रेट के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी थी।
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पति के मुताबिक, पत्नी लंबे समय से उससे अलग रह रही है। उसे घरेलू हिंसा संरक्षण कानून( conservation law ) से जुड़े प्रावधानों से राहत नहीं मिल सकती है। सेशन कोर्ट ने 25 जुलाई, 2019 को मैजिस्ट्रेट के आदेश को रद्द कर दिया था। सेशन कोर्ट( session court News ) ने पति से लंबे समय से अलग रहने के आधार पर पत्नी को भरण पोषण से वंचित किया था।
सेशन कोर्ट( session court ) के आदेश के खिलाफ पत्नी ने हाई कोर्ट( High Court news ) में अपील की थी। पत्नी के अनुसार, उसके पास आय का कोई जरिया नहीं है, जबकि पति का खुद का कारोबार है। 1997 में उसे ससुराल के घर से निकाल दिया गया था।
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'दंपती का वैवाहिक विवाद विचाराधीन' :
सेशन कोर्ट के आदेश से असहमत जस्टिस पाटील ने कहा कि घरेलू हिंसा संरक्षण कानून की धारा (2के) तलाक के बाद भी महिला को गुजारा भत्ता का दावा करने पर रोक नहीं लगाती है। यह धारा काफी व्यापक है। इसलिए मौजूदा केस में सेशन कोर्ट के निष्कर्ष से मैं संतुष्ट नहीं हू। मामले से जुड़े दंपती के वैवाहिक विवाद का मसला अभी भी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।