चेक बाउंस के मामले को लेकर High Court ने दिए सख्त आदेश, चेक लेने वाले हो जाएं अलर्ट
High Court : आजकल लगभग सभी पैसो का लेन देन ऑनलाइन ही करते है लेकिन बहुत से ऐसे भी लोग जो मोटी रकम के लिए चेक का ही इस्तेमाल करते है। अगर आप भी चेक के जरिए पैसों का लेन देन करते है तो आपके लिए ये खबर काम की है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चेक बाउंस को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त आदेश दिए है। आइए नीचे आर्टिकल में जानते है इस फैसले के बारे में डिटेल से.
HARYANA NEWS HUB : चेक बाउंस( check bounce ) से जुड़े एक मामले( Matters related to check bounce ) में निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट( Delhi High Court ) ने सख्त आदेश दिया है। न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर( Justice Rajneesh Bhatnagar ) की पीठ ने कहा कि यदि नोटिस जारी करने और अवसर देने के बावजूद भुगतान नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। पीठ ने कहा कि ऐसा व्यक्ति आपराधिक मुकदमे का सामना करने के लिए बाध्य है। पीठ ने उक्त टिप्पणी व आदेश एक पुनरीक्षण याचिका पर विचार करते हुए दिया।
उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता संजय गुप्ता( Petitioner Sanjay Gupta ) ने उन्हें दोषी ठहराए जाने से जुड़े मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट( metropolitan magistrate ) (एमएम) के नौ सितंबर 2019 को आदेश को रद करने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी।
एमएम( mm ) ने याचिकाकर्ता को दोषी ठहराते हुए तीन महीने की साधारण सजा सुनाते हुए सात लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। उक्त धनराशि शिकायतकर्ता को मुआवजे के रूप में भुगतान करनी थी। साथ ही यह भी आदेश दिया कि चार माह के अंदर जुर्माना राशि नहीं देने पर तीन माह की अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।
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हाई कोर्ट की पीठ ने नोट किया कि याची ने विवादित चेक को लेकर अलग रुख अपनाते हुए दावा किया था कि उक्त चेक खो गया था और उसने वर्ष 2014 में एक शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। हालांकि शिकायत से जुड़ा रिकार्ड वह अदालत में पेश नहीं कर सका। अदालत ने नोट किया कि याची ने न तो संबंधित बैंक को खोने वाले चेक के बारे में सूचित किया और न ही बैंक से उक्त चेक के भुगतान को रोकने का अनुरोध किया।
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यह है मामला :
याचिकाकर्ता संजय गुप्ता ने कोटक महिंद्रा बैंक से 4.80 लाख रुपये का एक महीने के लिए लोन लिया था। इसके बदले संजय ने बैंक के नाम पर 13 फरवरी 2017 को चेक दिया था। बैंक ने जब चेक भुगतान के लिए लगाया तो उसमें राशि उपलब्ध नहीं थी। बैंक ने 15 दिन में उक्त चेक का भुगतान करने के लिए नोटिस जारी किया, लेकिन याची ने भुगतान नहीं किया। इसके बाद बैंक ने मामला दर्ज कराया था।