Global Warming : 123 साल में पहली बार भारत रहा सबसे गर्म, लगातार गर्म हो रही है धरती, जानिए
Global Warming : धरती के तापमान में लगातार बढ़ रही है गर्मी| बता दें की पिछले 123 सालों में भारत में सबसे गर्म साल होने का रिकॉर्ड टुटा| इतनी गर्मी 123 सालों में पहली बार देखी गयी है| ये वाक्य भारत में दूसरा सबसे गर्म दिन रहा| धरती का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस (1.5 degrees Celsius) के पास पहुंच गया| पिछली साल 174 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा गर्म साल रहा| आइए जानते है पूरी खबर विस्तार से...
HR NEWS HUB, (ब्यूरो), नई दिल्ली : दुनिया में बढ़ते तापमान ने अब डराना शुरू कर दिया है। 2023 पिछले 123 सालों में भारत के लिए दूसरा सबसे गर्म साल रहा है। 1901 में मौसम का रिकॉर्ड (weather record) रखने के बाद भारत में यह दूसरा सबसे गर्म साल रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने मंगलवार को कहा कि 2023 सबसे गर्म वर्ष रहा। इस दौरान 12 महीनों में औसत तापमान महत्वपूर्ण 1.5° सेल्सियस (Average temperature significant 1.5° Celsius) के करीब पहुंच गया और यह गर्म होने का सिलसिला इस साल के पहले दो महीनों में भी जारी रहा।
1.5 डिग्री के करीब पहुंचा तापमान-
विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट 'स्टेट ऑफ क्लाइमेट' (State of Climate) में बताया गया है कि 2023 में दुनिया भर में जमीन का औसत तापमान 1850-1900 के औसत से 1.45 ± 0.12 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था। जब से मौसम का रिकॉर्ड रखा जा रहा है तबसे ये सबसे ज्यादा गर्म साल रहा है। यानी 174 साल के इतिहास में सबसे गर्म साल। इसके अलावा, इस साल ग्रीनहाउस गैस (Green house gas) के स्तर, समुद्र के गर्म होने, समुद्र के जलस्तर में वृद्धि, अंटार्कटिका के समुद्री बर्फ के कम होने और ग्लेशियर के पीछे हटने सहित सभी जलवायु संकेतकों के रिकॉर्ड टूट गए।
हालांकि, थोड़ी राहत भी है-
1.5 डिग्री सेल्सियस के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर लेना या थोड़े समय के लिए उस पार चले जाना, इसका मतलब यह नहीं है कि पृथ्वी का तापमान हमेशा के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला जाएगा। पेरिस समझौते में धरती के बढ़ते तापमान का जिक्र है। समझौते में तापमान बढ़ने और इसके कई सालों में बढ़ने की बात कही गई है।
WMO ने कहा-चिंता की बात-
विश्व मौसम संगठन के महासचिव सिस्टर कैथरीन सौलो (Sister Catherine Saulo, General Secretary) ने दुनिया को चेतावनी देते हुए कहा है कि हालांकि अभी अस्थायी रूप से ही सही, लेकिन हम जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते की 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के इतने करीब कभी नहीं आए हैं। गौरतलब है कि दुनिया भर के देश इस सदी के अंत तक वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा के भीतर रखने का प्रयास कर रहे हैं। सिस्टर कैथरीन सौलो (SisterCatherine Saulo, General Secretary) ने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन सिर्फ तापमान बढ़ने से जुड़ा नहीं है। साल 2023 में हमने जो देखा, खासकर समुद्र का अब तक का रिकॉर्ड गर्म होना, ग्लेशियरों का पीछे हटना और अंटार्कटिका के समुद्री बर्फ का कम होना, ये सब बहुत चिंता की बात है।
भारत में भी बढ़ रहा है तापमान-
भारत मौसम विभाग (IMD) ने जनवरी में बताया था कि 2023 में भारत में जमीन की सतह पर हवा का औसत सालाना तापमान दीर्घकालिक औसत (1981-2010 की अवधि) से 0.65° सेल्सियस ज्यादा था। यह रिकॉर्ड रखने के बाद से दूसरा सबसे गर्म साल रहा। देश में सबसे ज्यादा गर्मी 2016 में पड़ी थी, तब तापमान में 0.71° सेल्सियस का अंतर देखा गया था।
समुद्री बर्फ में आ रही है कमी-
विश्व मौसम संगठन की रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 में अंटार्कटिका (Antarctica) में समुद्री बर्फ का क्षेत्रफल रिकॉर्ड के हिसाब से अब तक का सबसे कम रहा। सर्दियों के अंत में बर्फ का अधिकतम क्षेत्रफल पिछले रिकॉर्ड वर्ष से 10 लाख वर्ग किलोमीटर कम था। यह क्षेत्रफल मिलाकर फ्रांस और जर्मनी के बराबर है। रिपोर्ट में 2023 में दुनिया भर में आए चरम मौसमी घटनाओं का जिक्र किया गया है।