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Mausam Update : इस साल कैसी रहने वाली है मानसून, जानिए मौसम विभाग ने क्या दी जानकारी

Weather News : उत्तर भारत में गर्मी ने अपना कहर मचाया हुआ है। अभी अप्रैल का ही महीना चल रहा है लेकिन गर्मी जून के महीने जैसी पड़ रही है। ऐसे में मौसम विभाग ने हाल ही में एक ताजा अपडेट जारी किया है। आइए नीचे आर्टिकल में जानते है कि मौसम विभाग ने क्या भविष्यवाणी कि है।

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Mausam Update : इस साल कैसी रहने वाली है मानसून, जानिए मौसम विभाग ने क्या दी जानकारी

HR NEWS HUB (ब्यूरो) : आपको बता दें कि अप्रैल के महीने में कुछ हिस्सों में लू की स्थिति बनी हुई है। इस गर्मी से लोगों का अभी से ही बुरा हाल है। हालांकि, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD Weather Update) ने राहत की खबर दी है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक(According to meteorologists), पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक बारिश हो सकती है। ऐसा इसलिए कि अल नीनो के प्रभाव का स्तर(Level of impact of El Nino) कम हो रहा है। इससे मानसून के लिए बेहतर माहौल का संकेत दिख रहा है।

भारत मौसम विज्ञान (aaj ka mausam) विभाग के महानिदेश मृत्युंजय महापात्र ने यह जानकारी दी। उन्होंने मध्य प्रशांत महासागर(central pacific ocean) के गर्म होने का जिक्र करते हुए कहा कि अभी तक के संकेत में यह जानकारी मिली है कि अल नीनो कम हो रहा है। जून के शुरुआत तक प्रभाव कम हो जाएगा, जिसके बाद तटस्थ स्थिति बन सकती है। यह जलवायु घटना दक्षिण-पश्चिम मानसून(Climatic phenomenon south-west monsoon) के लिए अनुकूल है।

आपको बता दें, भारत के कृषि क्षेत्र के लिए दक्षिण-पश्चिम मानसून महत्वपूर्ण है। यह देश में लगभग 70 फीसदी वार्षिक वर्षा के आवरण को पूरा करता है। देश में कृषि क्षेत्र का जीडीपी में योगदान(Contribution of agriculture sector to GDP) लगभग 14 प्रतिशत है और लगभग 1.4 अरब आबादी में आधे से अधिक को रोजगार देता है। इस वर्षा में कमी होने से देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर पड़ता है।

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IMD प्रमुख महापात्र ने बताया कि इस साल जुलाई से सितंबर के बीच ला-नीना की स्थिति देखी जा रही है, जिसका मध्य प्रशांत महासागर को ठंडा करने में योगदान है। उन्होंने कहा, भारतीय मानसून(indian monsoon) के लिए ला नीना अच्छा है और इस बार तटस्थ स्थितियां अच्छी हैं।

पिछले साल अल नीनो के कारण भारतीय मानसून के 60 प्रतिशत क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन इस साल यह स्थिति नहीं देखने को मिलेगी। यूरेशिया(Eurasia) में इस साल भी कम बर्फबारी का आवरण है, जो बड़े पैमाने पर मानसून के लिए अनुकूल हैं।

पिछले साल कम हुई थी वर्षा :

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2023 के मानसून सीजन में 868.6 मिलीमीटर वर्षा औसत की तुलना में 820 मिलीमीटर तक के नीचे बारिश दर्ज की गई थी। इसे मौसम विभाग ने मजबूत अल नीनो(Meteorological Department strong El Nino) के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इस महीने के अंत में आईएमडी दक्षिण-पश्चिम मानसून का पूर्वानुमान जारी करेगा, जो एक नए संकेत के बारे में जानकारी देने की स्थिति बन सकती है।

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तीन घटनाओं के आधार पर होती है भविष्यवाणी :

अल नीनो की स्थिति
हिंद महासागर डिपोल में तापमान
उत्तरी हिमालय और यूरेशियाई भूभाग पर बर्फ का आवरण